राहुल अपने बयानों से विदेशों में जाकर भारत को कर रहे हैं बदनाम: भाजपा

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Aug, 2018 03:16 PM

rahul is defaming india by going abroad in his statements bjp

भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘नासमझ’ और ‘नादान’ नेता बताते हुए आज कहा कि वह देश को उसी मुकाम पर पहुंचाना चाहते हैं जिस पर अपनी पार्टी को पहुंचा चुके हैं। भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि गांधी देश को...

नई दिल्ली: भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘नासमझ’ और ‘नादान’ नेता बताते हुए आज कहा कि वह देश को उसी मुकाम पर पहुंचाना चाहते हैं जिस पर अपनी पार्टी को पहुंचा चुके हैं। भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि गांधी देश को बांटने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि उनकी पार्टी ने किसे नहीं बांटा। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोकागार के लिए भी लोगों को बांट दिया। एक वोट की खातिर कांग्रेस ने देश को धर्म और जाति के नाम पर बांटा और अब उस पार्टी के अध्यक्ष अंग्रेजों के दरवाजे पर जा कर कह रहे हैं कि सरकार ने देश को बांटने का किया है। त्रिवेदी ने जर्मनी में गांधी के भाषणों की विषयवस्तु पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी विदेश जाकर भारत वांछित कर रहे हैं। 

सुधांशु का जोरदार पलटवार

  • अगर राहुल उस कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं जिसमें चक्रवती राजगोपालाचारी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन थे, तो वह उस पार्टी के नेता बनने योग्य नहीं हैं। 
  • नासमझ, नादान नेता पार्टी को जिस मुकाम पर पहुंचा चुका है, उसी मुकाम पर देश को पहुंचाना चाहता है।
  • पहले गांधी विदेश जाते थे तो उसे गुप्त रखा जाता था और कहा जाता था कि वह ज्ञान ध्यान के लिए गया। लेकिन इस बार आधिकारिक यात्रा पर विदेश गए हैं और गजब का ज्ञान बांट रहे हैं। 
  • भारतीय संस्कृति एवं भारतीय अर्थव्यवस्था का उन्हें कोई ज्ञान नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टों को भी समझने को तैयार नहीं है।
  • वह आईएसआईएस को बेरोजगारी से जोड़ रहे हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि ओसामा बिन लादेन अरबपति था और उसे रोजगार की कोई दिक्कत नहीं थी। इसी प्रकार से 11 सितंबर के आतंकवादी हमला करने वाले उच्चशिक्षित पेशेवर थे जिन्हें पैसे की कोई कमी नहीं थी। उन्हें समझ ही नहीं है कि आतंकवाद विचारधारा की लड़ाई है।
  • गांधी ने कहा था कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को जवाब देने के लिए वेदों एवं पुराणों का अध्ययन करेंगे लेकिन शायद उन्होंने अभी तक एक पन्ना भी नहीं खोला है। उन्हें पता होना चाहिए कि जिस जर्मनी में वे भारतीय संस्कृति को लांछित कर रहे हैं, उसी जर्मनी के विद्धान मैक्समूलर ने वेदों को मानवीय प्रज्ञा का सर्वाेच्च अधिष्ठान बताया था। 
  • भाजपा के राष्ट्रीय सचिव आर.पी. सिंह ने गांधी द्वारा अपने भाषण में गुरु नानक देव के बारे में कही गई बातों पर ऐतराज व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गांधी के वक्तव्य से सिख समुदाय स्तब्ध है। उनकी सोच और चेहरे में वे चेहरे नजर आते हैं जिन्होंने पंजाब में बांटने की राजनीति की तथा 1984 में सिखों का कत्लेआम किया और बदनाम किया।
  • गांधी अपने वोटों की राजनीति में सिख गुरुओं का नाम नहीं लें। जिस दिन गांधी अमृतसर में हरमंदर साहिब जा कर 1984 के कत्लेआम के लिए माफी मांगें तभी वे गुरुओं का नाम लेने के हकदार होंगे।

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