100 ट्रेनें बंद कर सकता है रेलवे, टाइम टेबल में भी बड़ा बदलाव संभव- सूत्र

Edited By Yaspal,Updated: 23 Jul, 2020 05:47 PM

railways may shut down 100 trains major changes possible in time table

भारतीय रेलवे ट्रेनों की टाइमिंग को लेकर बड़ा सुधार करने जा रहा है। इसके लिए रेलवे ‘जीरो बेस्ड’ टाइम टेबल तैयार कर रहा है, जो अब जल्द ही सामने आ सकता है। हालांकि कोरोना से उपजे हालात के बाद ही यह लागू होगा और जब तक कोरोना का खौफ बना रहेगा। रेलवे की...

नई दिल्लीः भारतीय रेलवे ट्रेनों की टाइमिंग को लेकर बड़ा सुधार करने जा रहा है। इसके लिए रेलवे ‘जीरो बेस्ड’ टाइम टेबल तैयार कर रहा है, जो अब जल्द ही सामने आ सकता है। हालांकि कोरोना से उपजे हालात के बाद ही यह लागू होगा और जब तक कोरोना का खौफ बना रहेगा। रेलवे की तरफ से मुसाफिरों की सुविधा के लिए स्पेशल ट्रेनें ही चलाई जाएंगी। आमतौर पर रेलवे का नया टाइम टेबल जुलाई से अगले साल जून तक लागू होता है फिर मौसम और ट्रेनों की संख्या में हुए बदलाव के साथ नया टाइम टेबल लागू होगा है। लेकिन कई बार हालात के मुताबिक टाइम टेबल लागू होने के पीरियड में बदलाव भी होता है। जैसे इस साल कोरोना की वजह से देखा जा सकता है।

रेलवे टाइम टेबल में कई बड़े बदलाव
सूत्रों के मुताबिक रेलवे के नए टाइम टेबल में कई बदलाव किए जा रहे हैं जिससे आने वाले कई साल तक रेलवे में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। दरअसल, पिछले कई दशकों से राजनीतिक मांग पर ट्रेनों के स्टॉपेज बढ़ाए गए हैं। लोगों और नेताओं के विरोध के डर से कई बिना मांग वाली ट्रेनें भी चल रही हैं जिसकी आधी से ज़्यादा सीटें खाली ही रहती हैं।

बंद हो सकती हैं 100 ट्रेनें
रेलवे ऐसी कई ट्रेनों को बंद कर सकता है जिनकी कोई मांग नहीं है। यानी ट्रेनों की आधी से ज्यादा सीटें खाली ही रहती हैं। इसमें इस बात का खयाल रखा जाएगा कि मुसाफिरों के लिए विकल्प के तौर पर दूसरी ट्रेन उपलब्ध हो। सूत्रों के मुताबिक देशभर में ऐसी 100 से ज्यादा ट्रेनें बंद हो सकती हैं। जिन पैसेंजर ट्रेनों में किसी हॉल्ट स्टेशन पर 50 सवारी चढ़ती- उतरती न हों, उन ट्रेनों का ऐसे हॉल्ट पर स्टॉपेज ख़त्म हो। लेकिन मुसाफिरों के लिए दूसरी ट्रेन उपलब्ध हो, ताकि उन्हें परेशानी न हो।

ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे उठा रहा ये कदम
बिना मांग वाली ट्रेनों को रद्द करने और कुछ ट्रेनों के स्टॉपेज कम करने से कई ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी और इस तरह से रेलवे की योजना है कि वो कुछ मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट ट्रेन का दर्ज़ा दे दे। सुपरफास्ट ट्रेनें वो होती हैं जिसकी औसत रफ़्तार 55 किलोमीटर प्रतिघंटे से ज़्यादा होती है। इससे सुपरफास्ट चार्ज के रूप में रेलवे की कमाई में भी बढ़ोतरी होगी।

क्या होता है जीरो बेस्ड टाइम टेबल?
दरअसल, जीरो बेस्ड टाइम टेबल वो होता है जिसमें टाइम टेबल तैयार करते समय ट्रैक पर कोई ट्रेन नहीं होती है। यानी हर ट्रेन को नई ट्रेन की तरह समय दिया जाता है और एक-एक कर सारी ट्रेनों के चलने का समय तय किया जाता है। इससे हर ट्रेन के चलने और किसी स्टेशन पर स्टॉपेज का सेफ समय दिया जाता है ताकि ना तो वो किसी ट्रेन की वजह से लेट हो और ना वो किसी और ट्रेन को लेट कर सके। कोरोना काल में ट्रेनों पर भी ब्रेक लगा हुआ है और फिलहाल रेलवे केवल 230 ट्रेनें ही चला पा रहा है। ऐसे में उसके पास सुधार के काम का बड़ा मौका है। उम्मीद की जा रही है कि टाइम टेबल में ये सुधार इस साल के अंत तक देखने को मिलेगा लेकिन इसका फायदा आने वाले कई साल उन मुसाफिरों को अनुभव होगा।

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