इस साल अगस्त में देश में 27 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, 120 साल में चौथी सर्वाधिक वर्षा

Edited By Anil dev,Updated: 01 Sep, 2020 06:02 PM

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देश में इस साल अगस्त में सामान्य से 27 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। यह पिछले 120 साल में दर्ज की गई चौथी सर्वाधिक बारिश है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि देश में एक जून से 31 अगस्त के बीच सामान्य से 10 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई।

नई दिल्ली: देश में इस साल अगस्त में सामान्य से 27 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। यह पिछले 120 साल में दर्ज की गई चौथी सर्वाधिक बारिश है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि देश में एक जून से 31 अगस्त के बीच सामान्य से 10 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। देश में आधिकारिक रूप से वर्षा ऋतु को एक जून से 30 सितंबर तक माना जाता है। विभाग के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केन्द्र के वैज्ञानिक आर. के. जेनामणि ने कहा, अगस्त में सामान्य से 27 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। उल्लेखनीय है कि आईएमडी ने नौ प्रतिशत धनात्मक-ऋणात्मक त्रृटि के साथ अगस्त महीने के लिए दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के मुकाबले 97 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान लगाया था। इस प्रकार एलएपीए के 96 से 104 प्रतिशत के बीच बारिश को सामान्य माना जाता है। जेनामणि ने कहा, अगस्त 2020 में दर्ज बारिश, पिछले 44 साल में सर्वाधिक है। वहीं, पिछले 120 साल में दर्ज की गई चौथी सर्वाधिक बारिश है। 

अगस्त 1926 में सामान्य से 33 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई थी, जो अभी तक की सर्वाधिक है। इसके बाद अगस्त 1976 में सामान्य से 28.4 प्रतिशत अधिक, अगस्त 1973 में 27.8 प्रतिशत अधिक और इस साल सामान्य से 27 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलवत ने कहा कि अगस्त में बंगाल की खाड़ी में पांच कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण इस महीने इतनी अधिक बारिश हुई है। निम्न दाब क्षेत्र में वायु का चक्रवाती चक्रण होता है। यह तूफान का पहला चरण होता है ,लेकिन जरूरी नहीं कि निम्न दाब चक्रवाती तूफान में ही तब्दील हो। जेनामणि ने कहा कि बंगाल की खाड़ी पर बने पांच कम दबाव के क्षेत्रों की वजह से भारत के मध्य और उत्तरी हिस्सों में भारी बारिश हुई। पांच कम निम्न दाब क्षेत्रों में चार स्पष्ट निम्न दाब क्षेत्रों में विकसित हुए। पिछले महीने हुई मूसलाधार बारिश की वजह से देश के कई हिस्सों में बाढ़ के हालात पैदा हो गए। 

जेनामणि ने बताया कि पहला कम दबाव का क्षेत्र ओडिशा तट के नजदीक चार से 10 अगस्त के बीच बना। यह मध्य भारत और गुजरात के रास्ते अरब सागर में दाखिल हुआ एवं ओमान के तट पर शांत हुआ। दूसरा कम दबाव का क्षेत्र 9 से 11 अगस्त के बीच आंध्र प्रदेश और ओडिशा तट के करीब बना। यह छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर मध्यप्रदेश से गुजरा और आगे पश्चिमोत्तर भारत की ओर बढ़ गया जिससे 14 अगस्त को जयपुर में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई। जेनामणि ने बताया कि तीसरा कम दबाव का क्षेत्र 13 से 18 अगस्त के बीच छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश के ऊपर बना और पूर्वोत्तर राजस्थान एवं दक्षिण पंजाब के ऊपर 18 से 20 अगस्त के बीच घूमता रहा जिससे पश्चिमी भारत में भारी बारिश हुई। इसी निम्न दाब की वजह से दिल्ली और आसपास के इलाके में भारी बारिश हुई और बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए। उन्होंने बताया कि चौथा कम दाब का क्षेत्र मध्य भारत और दक्षिण पश्चिम राजस्थान और दक्षिण पाकिस्तान में 19 से 26 अगस्त के बीच बना। इसका प्रभाव 21 अगस्त को वारंगल और हैदराबाद सहित तेलंगाना पर, 22 अगस्त को पश्चिम मध्य प्रदेश और दक्षिण राजस्थान और 23-24 अगस्त को गुजरात में देखने को मिला। पांचवां निम्न दाब क्षेत्र भी 24 से 31 अगस्त के बीच बना। 

मौसम विभाग के अनुसार जून में इस साल सामान्य से 17 प्रतिशत अधिक बारिश हुई जबकि जुलाई में सामान्य से 10 प्रतिशत कम बारिश हुई। आईएमडी का पूर्वानुमान था कि जुलाई में एलपीए का 103 प्रतिशत बारिश होगी जो सामान्य श्रेणी में आती है। उल्लेखनीय है कि 1961 से 2000 के बीच पूरे देश का एलपीए 88 सेंटीमीटर बारिश है। मौसम विभाग के मुताबिक वर्षा ऋतु के दूसरे सत्र (अगस्त-सितंबर) में एलपीए का 104 प्रतिशत बारिश होने की उम्मीद है और इसमें आठ प्रतिशत की संभावित त्रुटि रखी गई है। मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमोत्तर डिवीजन में नौ प्रतिशत कम बारिश हुई है। इसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इलाके आते हैं। मध्य भारत डिवीजन में 21 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जिसमें गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केंद्र शासित प्रदेश दादरा नगर हवेली एवं दमन और दीव, गुजरात के इलाके आते हैं। आईएमडी के दक्षिण प्रायद्वीप डिवीजन में 20 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की है। इस डिवीजन में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप आते हैं। पूर्वी और पूर्वोत्तर डिवीजन में सामान्य से दो प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। इस डिवीजन में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर के सभी राज्य आते हैं। 

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