Edited By Yaspal,Updated: 20 Feb, 2021 10:17 PM
जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि यदि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाना ‘राजद्रोह'' है तो ‘वह जेल में रहे, यही ठीक है''। वहीं, अदालत ने ‘टूलकिट'' मामले में उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश...
नई दिल्लीः जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि यदि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाना ‘राजद्रोह' है तो ‘वह जेल में रहे, यही ठीक है'। वहीं, अदालत ने ‘टूलकिट' मामले में उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया। इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने दिशा की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में आरोप लगाया कि वह भारत में हिंसा भड़काने की साजिश का हिस्सा थी और उसे ईमेल जैसे साक्ष्य मिटा दिए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इस दौरान जांच एजेंसी (दिल्ली पुलिस) से कुछ चुभते हुए सवाल पूछे।
न्यायाधीश ने कहा कि वह (पुलिस) सिर्फ ‘‘अंदाजा लगा कर, ज्ञात तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंच कर और बगैर पर्याप्त सबूत के अनुमान लगा कर'' कार्रवाई कर रही है तथा (26 जनवरी को) किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से इसका क्या संबंध है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘...जब तक मेरा अंत:करण संतुष्ट नहीं हो जाता है, मैं आगे नहीं बढूंगा।''
अतरिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि टूलकिट में ‘हाईपरलिंक' खालिस्तानी वेबसाइटों से जुड़े हुए थे, जो भारत के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह महज एक टूलकिट नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां (देश में) अशांति पैदा करने का था।'' हालांकि, दिशा के वकील ने दावा किया, ‘‘टूलकिट को 26 जनवरी के दिन किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की घटना से जोड़ने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। उन्होंने प्राथमिकी में लगाये गये आरोपों पर भी सवाल उठाये।''
बचाव पक्ष (दिशा) के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम सभी लोगों के अपने अलग-अलग विचार होते हैं। आपको किसानों के प्रदर्शन से समस्या हो सकती है, मुझे नहीं हो सकती है। यदि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं। मैं (बचाव पक्ष का वकील) भी किसानों का समर्थन करता हूं, आइए सभी लोग जेल जाते हैं।'' दिशा के वकील ने कहा, ‘‘प्राथमिकी में यह आरोप है कि योग और चाय को निशाना बनाया जा रहा है। क्या यह अपराध है? क्या अब हम यह भी पाबंदी लगाने जा रहे हैं कि कोई व्यक्ति अलग राय नहीं रख सकता है।''