103 वर्ष की उम्र में भी स्वस्थ हैं आजाद हिंद फौज के सिपाही, देश के लिए 18 दिन तक रहे थे भूखे

Edited By Anil dev,Updated: 14 Aug, 2020 06:04 PM

rajasthan ceduram krishna indira gandhi

राजस्थान में झुंझुनू जिले के बुडाना गांव के आजाद हिंद फौज के सिपाही सेडूराम कृष्णियां 103 साल की उम्र में भी स्वस्थ नजर आते हैं। वह बिना किसी के सहारे घूमने फिरने के अलावा बिना चश्मा के अखबार भी पढ़ लेते हैं।

झुंझुनू: राजस्थान में झुंझुनू जिले के बुडाना गांव के आजाद हिंद फौज के सिपाही सेडूराम कृष्णियां 103 साल की उम्र में भी स्वस्थ नजर आते हैं। वह बिना किसी के सहारे घूमने फिरने के अलावा बिना चश्मा के अखबार भी पढ़ लेते हैं। सेडूराम कृष्णियां भले ही 103 साल पार कर गए हैं लेकिन आज भी उन्हें उम्मीद है कि अभी तो उन्हे और जिंदगी जीनी है। मात्र 21 वर्ष की उम्र में आजाद हिंद फौज के सिपाही बने सेडूराम कृष्णियां आजादी की लड़ाई में फ्रांस द्वारा कैद किए जाने के बाद 18 दिन तक भूखे रहे थेे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हे ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया था। वह बताते हैं कि चार सितंबर 1940 को 21 वर्ष की आयु में वह आजाद हिंद फौज की दी राजपूताना बटालियन में राइफल मैन के रूप में भर्ती हुये थे। 

भर्ती के कुछ दिन बाद ही उन्हे देश के बाहर भेज दिया गया। उन्हेे फ्रांस द्वारा लीबिया में पांच हजार सैनिकों के साथ बंदी बना लिया गया, जहां तीन साल तक कैद कर यातनाएं दी गई। उन्होंने बताया कि 18 दिन तक तो खाना भी नहीं दिया 19 वें दिन डबल रोटी और चाय मिली। सेडूराम कृष्णियां बताते हैं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से उनकी पहली बार मुलाकात जर्मनी में हुई। उन्होंने एक नारा दिया कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। नेताजी के इसी नारे के साथ आजाद हिंद फौज का गठन किया गया। लीबिया में कैद सिपाहियों को नेताजी बोस ने ही छुड़वाया था। बहादुरगढ़ कैंप में रहने के बाद वहीं से वह सेवानिवृत होकर घर आ गए थे। सेडूराम कृष्णियां ने विवाह नहीं किया। उनके भाई के पुत्र ओमप्रकाश कृष्णिया का परिवार उनकी देखभाल कर रहा है।

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