'राष्ट्र सर्वोपरि है...',राज्यपाल कलराज मिश्र बोले- शिक्षा के जरिए आत्मनिर्भर भारत के लिए सब मिलकर करें काम

Edited By Harman Kaur,Updated: 27 Jul, 2024 05:50 PM

rajasthan governor kalraj mishra said

आज शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा है कि नई शिक्षा नीति के आलोक में विश्वविद्यालय प्राचीन और नवीन ज्ञान का समन्वय करते हुए संस्कृत और...

नेशनल डेस्क: राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शिक्षा के जरिए आत्मनिर्भर भारत के लिए मिलकर काम करने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है और सामूहिकता के भाव में कहीं कोई भेद नहीं होता।

'सामूहिकता के भाव में कहीं कोई भेद नहीं होता....'
बता दें कि आज शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा है कि नई शिक्षा नीति के आलोक में विश्वविद्यालय प्राचीन और नवीन ज्ञान का समन्वय करते हुए संस्कृत और संस्कृति के प्रसार के लिए कार्य करे। उन्होंने कहा ,‘‘ राष्ट्र सर्वोपरि है। सामूहिकता के भाव में कहीं कोई भेद नहीं होता है। इसे समझते हुए शिक्षा के जरिए आत्मनिर्भर भारत के लिए भी सब मिलकर कार्य करें।''

'संस्कृत में दी जाती है व्यक्तित्व निर्माण के लिए जरूरी शिक्षा...'
उन्होंने कहा कि संस्कृत में योग, विज्ञान, शास्त्र, भारतीय संस्कृति, संस्कार से जुड़ी शिक्षा दी जाती है जो व्यक्तित्व निर्माण के लिए जरूरी शिक्षा है। उन्होंने दावा किया कि यह शिक्षा यदि कहीं मिलती है तो उसको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कौशल विकास के साथ भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से जुड़े ज्ञान के आधुनिकीकरण पर भी विशेष जोर दिया गया है। उनका कहना था कि विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति की इस पहल को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए।

मिश्र ने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को आत्मविश्वास का साक्षात स्वरूप बताते हुए कहा कि दीक्षांत की भारतीय परंपरा की जो व्याख्या उन्होंने की है, वह विरल है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने बताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राचीन संस्कृत ज्ञान के अलावा कम्प्यूटर विज्ञान, अर्थशास्त्र, पर्यावरण विज्ञान, इतिहास, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन और समाजशास्त्र जैसे विषयों पर भी ध्यान केन्द्रित करते हुए इस भाषा को जन-जन तक लोकप्रिय किए जाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।  

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