सियासत और कलाकार: पहला चुनाव हार कर शत्रुघ्न ने खो दी थी सुपरस्टार राजेश खन्ना की दोस्ती

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Apr, 2019 09:24 AM

rajesh khanna friendship with shatrughna was defeated by losing 1st election

शत्रुघ्न सिन्हा पहला लोकसभा चुनाव अपने जिगरी दोस्त सुपर स्टार राजेश खन्ना से हार गए थे, जिसके बाद खन्ना का देहांत भी हो गया लेकिन दोनों के रिश्ते कभी नहीं सुधरे।

इलैक्शन डैस्क (सूरज ठाकुर): शत्रुघ्न सिन्हा पहला लोकसभा चुनाव अपने जिगरी दोस्त सुपर स्टार राजेश खन्ना से हार गए थे, जिसके बाद खन्ना का देहांत भी हो गया लेकिन दोनों के रिश्ते कभी नहीं सुधरे। दरअसल चुनाव के बाद राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा से बातचीत करनी ही छोड़ दी थी।


ऐसे शुरू हुई थी सियासत
शत्रुघ्न सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी के समय में 1984 में भाजपा ज्वाइन की थी। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता और दमदार आवाज को देखते हुए स्टार प्रचारक बनाया था। वर्ष 1991 की बात है जब लाल कृष्ण अडवानी का डंका बजता था। वह इस दौरान हुए लोकसभा चुनाव में गुजरात के गांधीनगर और नई दिल्ली दोनों सीटें जीत गए थे। नई दिल्ली सीट पर अडवानी राजेश खन्ना से बहुत ही कम वोटों से जीते थे। नई दिल्ली सीट पर भाजपा के टिकट पर अडवानी को 93,662 वोट मिले थे जबकि हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार राजेश खन्ना ने कांग्रेस के टिकट पर 92,073 वोट हासिल किए थे। दोनों की हार-जीत में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं था।


...और खत्म हो गई 2 सुपर स्टारों की दोस्ती
अडवानी ने गांधी नगर का सांसद बनना मुनासिब समझा और नई दिल्ली की सीट छोड़ दी। राजनीति में कोई तजुर्बा न होने के बावजूद राजेश खन्ना ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उससे उन्होंने अपनी लोकप्रियता का सिक्का जमा दिया था। 1992 में फिर से यहां लोकसभा उपचुनाव हो रहा था। कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर इस सीट से राजेश खन्ना को मैदान में उतारा जबकि भाजपा ने उनकी लोकप्रियता को टक्कर देने के लिए बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था। इस बार राजेश खन्ना ने भारी मतों के अंतर से शत्रुघ्न सिन्हा को शिकस्त दी थी। राजेश खन्ना ने कुल 101625 मत हासिल कर 28,256 मतों के अंतर से उन्हें हराया था। राजेश खन्ना इसके बाद 1992-96 तक लोकसभा सदस्य रहे। शत्रुघ्न सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अपने दोस्त राजेश खन्ना के खिलाफ चुनाव लडऩे का उन्हें बहुत पछतावा हुआ था।

राज्यसभा सांसद और कैबिनेट मंत्री भी रहे
1996 और 2002 में सिन्हा एन.डी.ए. की ओर से राज्यसभा सांसद चुने गए। 1999 में एन.डी.ए. की ही सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस सरकार के कार्यकाल में 2002 में मंत्रिमंडल में फेरबदल हुए। शत्रुघ्न सिन्हा को कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया था। 2006 में उन्हें भाजपा के कला और संस्कृति विभाग का मुखिया भी बनाया गया। उसके बाद 2009 में बिहार की पटना साहिब सीट से शत्रुघ्न सिन्हा ने चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने उनके खिलाफ एक्टर शेखर सुमन को उतारा था। 2014 में दोबारा बिहार की पटना साहिब सीट से वह सांसद चुने गए हैं।

संसद में पिछले 5 साल निष्क्रिय रहे शत्रुघ्न, सांसद निधि का किया पूरा इस्तेमाल
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शनिवार को शामिल हुए लोकसभा सदस्य शत्रुघ्न सिन्हा पिछले 5 साल के दौरान संसद में लगभग निष्क्रिय रहे लेकिन इस अवधि में उन्होंने अपनी सांसद निधि का पूरा इस्तेमाल किया। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में पोत परिवहन मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने के कारण आरंभ से ही बगावती तेवर अपना लिए थे। पिछले 5 साल में उन्होंने नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की जमकर आलोचनाएं कीं और आरोप लगाते रहे कि भाजपा अब मोदी की जेबी पार्टी बन गई है। शत्रुघ्न सिन्हा की इस नाराजगी का असर संसद में उनके कामकाज में भी देखने को मिला और संसद के रिकार्ड के अनुसार 16वीं लोकसभा में उन्होंने सदन में न कोई सवाल किया और न ही किसी चर्चा में हिस्सा लिया। यह वही शत्रुघ्न सिन्हा हैं जिन्होंने 15वीं लोकसभा में 67 सवाल पूछे थे और 9 बार सदन की चर्चा में हिस्सा लिया था। इस दौरान सदन में उनकी उपस्थिति महज 67 प्रतिशत ही रही जबकि लोकसभा में उपस्थिति के मामले में सभी सांसदों का औसत प्रतिशत 81 है।

बायोग्राफी में भी है जिक्र
चुनाव जीतने के बाद राजेश खन्ना की शत्रुघ्न सिन्हा से नाराजगी खत्म नहीं हुई। उन्होंने फिर सिन्हा से बात नहीं की। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी बायोग्राफी ‘एनीथिंग बट खामोश’ में लिखा है कि वह राजेश खन्ना के खिलाफ चुनावी मैदान में नहीं उतरना चाहते थे लेकिन लाल कृष्ण अडवानी को मना नहीं कर सके क्योंकि वह उनके लिए गाइड और गुरु थे। चुनाव के बाद लंबे समय तक सिन्हा यह कोशिश करते रहे कि राजेश खन्ना से उनकी दोस्ती पहले जैसी हो जाए लेकिन यह संभव नहीं हो सका। साल 2012 में सुपर स्टार रहे राजेश खन्ना का निधन हो गया था।

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