राजगुरू के घरवालों ने कहा कि वह पूरे देश के, किसी संगठन से न जोड़ें

Edited By Yaspal Singh,Updated: 03 Apr, 2018 09:10 PM

rajguru s households said that they do not add to the entire country

स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु के परिजनों ने आरएसएस द्वारा स्वयंसेवक बताने पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि  राजगुरू पूरे देश के हैं, किसी संगठन से उनका नाम न जोड़ा जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व राष्ट्रीय प्रचारक एवं पत्रकार नरेंद्र सहगल द्वारा लिखी...

नेशनल डेस्कः स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु के परिजनों ने आरएसएस द्वारा स्वयंसेवक बताने पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि  राजगुरू पूरे देश के हैं, किसी संगठन से उनका नाम न जोड़ा जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व राष्ट्रीय प्रचारक एवं पत्रकार नरेंद्र सहगल द्वारा लिखी गई किताब में दावा किया गया है। कि राजगुरू संघ के स्वयंसेवक थे। 

बता दें कि राजगुरू को भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी, स्वतंत्रा सेनानी राजगुरू के भाई पौत्रों सत्यशील और हर्षवर्धन राजगुरू ने सोमवार को पुणे में कहा कि इस संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है कि राजगुरू आरएसएस के स्वयंसेवक थे और न ही हमारे पूर्वजों ने हमें इस बारे कभी बताया। उन्होंने बताया कि यह सही है कि नागपुर में उनके प्रवास के दौरान संघ के एक स्वयंसेवक ने प्रबंध किये थे। सत्यशील और हर्षवर्धन ने कहा कि राजगुरू पूरे देश के क्रांतिकारी थे और उनका नाम किसी खास संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। वहीं आरएसएस के वरिष्ठ नेता एमजी वैद्य ने कहा कि हो सकता है, संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में राजगुरू के रुकने के लिए गोपनीय प्रबंध कराए हों।

राजगूरू ने किया था आरएसएस की शाखा का दौरा
वैद्य से सवाल किया गया कि राजगुरू ने नागपुर में आरएसएस की शाखा मोहिते बाग का दौरा किया था। इस पर उन्होंने कहा कि आप पूछ रहे हैं कि क्या राजगुरू शाखा आए थे। वैद्य ने कहा कि हो सकता है कि वह आए हों, जब अरुणा आसफ अली (स्वतंत्रा संग्राम के दौरान) भूमिगत थी। तो वह दिल्ली के आरएसएस पदाधिकारी हंसराज गुप्ता के घर पर रुकीं थी।

राजगुरू के बारे में संघ में कोई चर्चा नहीं
आरएसएस नेता ने कहा कि यदि राजगुरु आए होंगे तो संभावना है कि डॉ. हेडगेवार ने उनके प्रवास के लिए गोपनीय प्रबंध कराए हों। यह संभव है क्योंकि डॉ. हेडगेवार एक क्रांतिकारी थे और क्रांतिकारियों से उनके संबंध थे। यह पूछे जाने पर कि क्या कभी संघ की बौद्धिक चर्चाओं में राजगुरु के बारे में चर्चा हुई, आरएसएस के पूर्व बौद्धिक प्रमुख वैद्य ने कहा, च्कम से कम मैंने इस बारे में नहीं सुना है।

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