राजीव गांधी हत्याकांड: केन्द्र ने अदालत से कहा, राज्यपाल को दया याचिका पर फैसला लेने का विवेकाधिकार

Edited By Pardeep,Updated: 07 Feb, 2020 11:56 PM

rajiv gandhi assassination governor has discretion to decide on mercy petition

केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि तमिलनाडु के राज्यपाल के पास संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पेरारिवलन की लंबित दया याचिका पर फैसला लेने का विवेकाधिकार...

चेन्नईः केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि तमिलनाडु के राज्यपाल के पास संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पेरारिवलन की लंबित दया याचिका पर फैसला लेने का विवेकाधिकार है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने प्रत्युत्तर में कहा कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे सात दोषियों में से चार, नलिनी, संथन, मुरुगन और अरिवू ने अनुच्छेद 161 (कुछ मामलों में राज्यपाल द्वारा सजा माफ करने, रोक लगाने, कम करने या बदलने की शक्ति) के तहत राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दायर की है।

प्रत्युत्तर में कहा गया है कि राज्यपाल ने नलिनी के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया था जबकि तीन अन्य की याचिका को खारिज कर दिया था। इसने कहा कि शेष तीनों ने अपनी याचिका खारिज करने के फैसले को मद्रास उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, बाद में मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच गया। शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी 2014 को तीनों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

 

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