Edited By Anil dev,Updated: 20 Jun, 2020 04:58 PM
राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) ने कहा है कि वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलने बावजूद योग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने और लडऩे में कारगर साबित हो सकता है क्योंकि योग एवं ध्यान से कैंसर के मरीजों को तनाव, अवसाद और थकान से...
नई दिल्ली: राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) ने कहा है कि वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलने बावजूद योग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने और लडऩे में कारगर साबित हो सकता है क्योंकि योग एवं ध्यान से कैंसर के मरीजों को तनाव, अवसाद और थकान से राहत मिलती है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आरजीसीआईआरसी की साइको ओंकोलॉजी प्रमुख डॉ. हर्षा अग्रवाल ने कहा कि योग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाने और लडऩे में भी कारगर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण भले ही नहीं मिले हैं, लेकिन कई बार देखा गया है कि योग एवं ध्यान से कैंसर के मरीजों को तनाव, अवसाद और थकान से राहत मिलती है। इससे जीवन स्तर सुधरता है और मरीज का रोग प्रतिरोधक बेहतर होता है। यह भी देखा गया है कि योग से कैंसर मरीज की इच्छाशक्ति मजबूत होती है और वह बीमारी से ज्यादा बेहतर तरीके से लडऩे में सक्षम होता है।
डॉ. अग्रवाल का कहना है कि कैंसर के इलाज के दौरान मरीजों में कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं। ऐसा पाया गया है कि योग इनसे बचने में मदद करता है। प्राणायाम सांसों को नियमित करने में मदद करता है तो कई अलग-अलग आसन शरीर की क्षमता और लचीलापन बढ़ाते हैं। इनसे मरीज की थकान भी मिटती है। इन सबसे बड़ी बात, कि योग मानसिक रूप से मजबूती देता है। योग की ये सभी खूबियां मिलकर उसे कैंसर मरीजों के लिए बेहतर बना देती हैं। कैंसर के कई मरीज योग से फायदा होने की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि योग के अलग-अलग प्रकार अलग-अलग तरीके से असर डालते हैं। पवनमुक्तासन और उत्तान पादासन के साथ शीतली, शीतकारी और सदन्त प्राणायाम को कीमोथेरेपी के कारण आने वाले चक्कर और उल्टी की समस्या से निजात दिलाने वाला पाया गया है। कुछ सामान्य आसन और सुदर्शन क्रिया आदि से थकान, दर्द और नींद की समस्या से राहत मिल सकती है। वहीं ओंकार के मंत्रोच्चार और ध्यान से भय और अवसाद खत्म होता है और मन शांत होता है।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि वैसे तो योग सुरक्षित है, लेकिन किसी प्रशिक्षक की मदद से ही इसे करना चाहिए। किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए जरूरी है कि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए। खाने के कम से कम दो घंटे बाद ही योग की कोई क्रिया करनी चाहिए। किसी प्रशिक्षक से सीखे बिना ही घर पर प्रयास नहीं करना चाहिए। प्रशिक्षक को अपने स्वास्थ्य एवं बीमारियों के बारे में सारी बात बता देनी चाहिए। यदि पीठ या जोड़ों में दर्द जैसी कोई समस्या है तो उससे भी प्रशिक्षक को अवगत कराएं। बिना प्रशिक्षण के कोई जटिल आसन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था या मासिक धर्म के दौरान भी कुछ योग क्रियाएं निषेध हैं, उनके बारे में भी प्रशिक्षक से जानकारी लेनी चाहिए। डॉ अग्रवाल ने कहा कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए कैंसर के मरीज योग से बहुत लाभ ले सकते हैं।