Edited By Anil dev,Updated: 31 Jul, 2019 11:02 AM
संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है।
इलैक्शन डैस्क (नरेश कुमार): संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भी ऐसी चूक हुई जिसका लंबी अवधि में कांग्रेस को राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ा। यह मामला बेगम शाह बानो से जुड़ा हुआ है। इस महिला का अपने पति के साथ तलाक हो गया था और 60 वर्ष की उम्र में 5 बच्चों के साथ अलग हुई शाह बानो के पास कमाई का कोई जरिया नहीं था।
लिहाजा शाह बानो ने सीआर.पी.सी. की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण भत्ता देने की मांग की और न्यायालय ने फैसला शाह बानो के पक्ष में भी सुना दिया। शाह बानो के पति ने निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट में भी फैसला शाह बानो के पक्ष में आया। इस बीच देश भर में अदालत के इस फैसले का विरोध होना शुरू हो गया। उस वक्त राजीव गांधी की सरकार ने मुस्लिम धर्म गुरुओं के दबाव में आकर मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 पारित किया। इसके तहत सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया गया।
शाह बानो यह केस जीतकर भी अपना वह हक नहीं पा सकी जिसकी वजह से वह लड़ाई लड़ रही थी। कांग्रेस को बाद में इसके गंभीर राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़े और हि्ंदूवादी संगठनों ने इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना लिया। इस फैसले के बाद ही देश में ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू हुई और भाजपा ने इसका बड़ा फायदा उठाया और 1996 में सरकार बनाने तक में सफल रही।