जीत के बाद भी BJP को राज्यसभा में नहीं मिलेगा बहुमत, यह है वजह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 05:18 AM

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शुक्रवार को राज्य सभा के लिए 58 नए सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया खत्म हो गए। इन 58 सीटों में 25 सीटों के लिए चुनाव 6 राज्यों में चुनाव हुए जबकि 10 राज्यों से 33 सदस्य बिना किसी विरोध के राज्य सभा पहुंचने में सफल रहे हैं। हालांकि जहां तक संभावना है...

नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): शुक्रवार को राज्य सभा के लिए 58 नए सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया खत्म हो गई। इन 58 सीटों में 25 सीटों के लिए चुनाव 6 राज्यों में चुनाव हुए जबकि 10 राज्यों से 33 सदस्य बिना किसी विरोध के राज्य सभा पहुंचने में सफल हुए। हालांकि जहां तक संभावना है राज्य सभा चुनाव के अंतिम नतीजे निसंदेह बीजेपी के पक्ष में होंगे। बावजूद इसके बीजेपी को इसका लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। लोकसभा की तरह राज्य सभा में बीजेपी को अपना वर्चस्व बनाने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
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बदल जाएगा राज्यसभा का अंकगणित
राज्य सभा के लिए हुए इस चुनाव के बाद सदन की बदली अंकगणित में बीजेपी को 15 सीटों तक का फायदा होने का अनुमान है। जिससे बीजेपी के मौजूदा 58 सदस्यों का आंकड़ा बढ़कर 72-73 तक पहुंच सकता है। परेशानी भी यहीं शुरू होती है, कारण यह है कि राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 सांसदों का बहुमत होना जरूरी है। जबकि बीजेपी के खाते में यह संख्या करीब 72-73 के पास आकर रूक गई है। इस स्थिति में एक बात साफ है कि मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल में बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत मिलने की उम्मीद ना के बराबर है। इसके लिए बीजेपी को एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत में आने के साथ-साथ 2018 और 2019 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बढ़त बनानी होगी।

इन मुद्दो पर पड़ेगा असर
अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने यूनीफॉर्म सिविल कोड, धारा 370 को हटाने और लोकसभा के साथ-साथ देशभर में विधानसभा चुनावों को कराने मसौदा तैयार किया। इतना ही नहीं इन सभी मसौदों पर आगे बढ़ने के लिए संविधान में संशोधन की भी जरूरत है जिसके लिए यह जरूरी है कि बीजेपी को लोकसभा के साथ-साथ राज्य सभा में विशेष बहुमत मिले। लेकिन फिलहाल यह संभव होता नहीं दिख रहा है।
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कांग्रेस को भी नुकसान
बीजेपी के अलावा कांग्रेस को तो सीधे तौर पर नुकसान होता दिख रहा है। मौजूदा चुनावों के बाद कांग्रेस को लगभग 8 से 10 सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा और राज्य सभा में उसका आंकड़ा 54 से घटकर लगभग 45 तक पहुंचने के आसान दिखाई दे रहे हैं। लिहाजा कांग्रेस को भी आने वाले वर्षों में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों को अपने पक्ष में करना होगा। हालांकि एक तरफ राज्यसभा में भले ही कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़े लेकिन हाल ही में हुए उपचुनाव में उसे फायदा ही हुआ है। पंजाब के गुरुदासपुर, राजस्थान के अलवर व अजमेर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल कर लोकसभा में अपनी ताकत बढ़ाई है। 

अब इन चुनावों पर रहेगी नजर
गौरतलब है कि जहां हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 के आम चुनावों के तुरंत बाद होंगे वहीं आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और तेलंगाना का चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ कराए जाने की संभावना है। इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2018 में छत्तीगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मिजोरम और राजस्थान के विधानसभा चुनाव हो सकते है।  इन चुनावों के बाद यदि केन्द्र में बीजेपी की सरकार और राज्यसभा में विशेष बहुमत के साथ-साथ 15 राज्यों में दो-तिहाई बहुमत वाली सरकार रहेगी तभी मोदी सरकार को कड़े व कारगर फैसले लेेने में आसानी होगी।

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