Edited By Anil dev,Updated: 11 Aug, 2022 02:11 PM
बहन से गुर्दे के रूप में जीवन का उपहार पाकर अमन बत्तरा 9 साल बाद अब डायलिसिस से मुक्त हो गए हैं। अब वह अपने भविष्य की योजनाएं बनाने में जुटे हैं। जल्द ही वह एक फीचर फिल्म बनाने तथा उसके बाद अपनी प्रेमिका से शादी करने के बारे में सोच रहे हैं। गुडग़ांव...
नेशनल डेस्क: बहन से गुर्दे के रूप में जीवन का उपहार पाकर अमन बत्तरा 9 साल बाद अब डायलिसिस से मुक्त हो गए हैं। अब वह अपने भविष्य की योजनाएं बनाने में जुटे हैं। जल्द ही वह एक फीचर फिल्म बनाने तथा उसके बाद अपनी प्रेमिका से शादी करने के बारे में सोच रहे हैं। गुडग़ांव में रह रहे पटकथा लेखक अमन (29) 2013 से ही गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त थे। उनके माता-पिता गुर्दा दान करने में असमर्थ थे, जिसके बाद यह जिम्मा उनकी बहन चंद्रा ग्रोवर (38) ने उठाया।
उनकी बहन अपने पति के साथ न्यूजीलैंड में रहती हैं। जब पूरे भारत में अनेकों परिवार भाई-बहन के त्यौहार रक्षाबंधन की तैयारियों में जुटे हैं वहीं ऐसे समय में बत्तरा और उनकी बहन, भाई-बहन के अनूठे स्नेह की नई गाथा लिख रहे हैं। चंदा ग्रोवर ने कहा कि वह 9 सालों से अपने भाई को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर रही थी कि वह उसका गुर्दा ले ले। ग्रोवर ने ऑकलैंड से फोन पर बताया, ‘‘इस साल फरवरी में मैंने किसी तरह उसे राजी कर लिया कि हमें यह करना ही होगा, क्योंकि यदि वह इतने कष्ट से गुजर रहा है तो मैं कभी खुश नहीं होऊंगी। वह अंतत: राजी हो गया और मैंने उसे अपना गुर्दा दान दे दिया।’’