Edited By Anil dev,Updated: 16 Jun, 2019 12:07 PM
केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई दिखाई दी। मरीजों का कहना है कि राम मनोहर लोहिया में ओपीडी बस नाम के लिए ही चलाई जा रही थी यहां पर एक ही डॉक्टर बैठे हैं। बहुत कम मरीजों...
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई दिखाई दी। मरीजों का कहना है कि राम मनोहर लोहिया में ओपीडी बस नाम के लिए ही चलाई जा रही थी यहां पर एक ही डॉक्टर बैठे हैं। बहुत कम मरीजों को देखा गया।
ज्यादातर मरीजों को भेजा जा रहा है वापस
ज्यादातर मरीजों को वापस भेज दिया जा रहा है। उनको दो या तीन दिन के बाद की तारीख दी जा रही है। मरीज सायरा ने बताया कि पत्थरी का अल्ट्रासाउंड कराना था। लेकिन हड़ताल के कारण अल्ट्रासाउंड नहीं किया गया। अस्पताल में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और कई तरह के जांच व्यवस्था भी ठप रही। शालीमार बाग से आई अनीसा ने बताया कि मेरी उम्र 50 की है और मैं हार्ट की मरीज हूं। शनिवार को डॉक्टर ने देखने के लिए बुलाया था। लेकिन हड़ताल के कारण मना कर दिया। यहां दूर से आए मरीजों को मायूसी के साथ लौटना पड़ रहा है। अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या लगभग आठ हजार है। लेकिन व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चलने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
पैरों में प्लास्टर, इंफेंक्शन भी हो गया
दोनों पैरों में प्लास्टर चढ़े सात साल के विक्रम को डॉक्टर ने शनिवार को आर्थों के लिए बुलाया था। लेकिन हड़ताल के कारण डॉक्टर ने मना कर दिया। बच्चा दर्द से कराह रहा था। क्योंकि दोनों पैरों में पल्स होने के कारण उसके पैरों को तीन बार प्लास्टिक सर्जरी की गई है। यहीं नहीं प्लास्टिक सर्जरी के बाद उसके हड्डी में इंफेंक्शन हो गया जिसके कारण हड्डी खुद ही फै्रक्चर हो गई। उसके बाद डॉक्टर घाव भरने का इंतजार कर रहे हैं। तीमारदार ने बताया कि कई दिनों से विक्रम दर्द के मारे सो भी नहीं पा रहा है। गोरखपुर के खलीलाबाद से यहां बच्चों को लेकर आएं हैं लेकिन हड़ताल के कारण वापस लौटना पड़ेगा।
बच्चे को हो रही सांस लेने में दिक्कत
अपने चार साल के बच्चे का इलाज करवानी पहुंची तमीरदार कृष्णना का कहना है कि उसकी बेटे की नाक में प्लास्टिक का टुकड़ा घुस गया है, जिसकी वजह से बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही है। इसके बाद अस्पताल में हड़ताल की बात कहकर इलाज के लिए मना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले वो अपने बच्चें को दिखाने के लिए गुरु गोविंद अस्पताल गई थी, लेकिन वहां से डीडीयू अस्पताल में रेफर कर दिया। इसके बाद वो आपातकाल वार्ड में अपने बच्चे का इलाज करवाने पहुंची। लेकिन वहां पर बेटे का इलाज नहीं हो सका।
इमरजेंसी में करना पड़ा लंबा इंतजार
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के सुचेता कृपलानी अस्पताल और कलावती सरन अस्पताल में डॉक्टरों के हड़ताल के कारण ओपीडी और वाड्र्स में सेवाएं ठप रही। लेकिन इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रूप से चल रही थी। लेडी हार्डिंग अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या लगभग चार हजार हैं। लेकिन व्यवस्था सुचारू रूप से न चलने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मरीजों का कहना है कि इमरजेंसी में भी इलाज के लिए बहुत देर तक इंतजार करना पड़ रहा है। चारों तरफ मरीज अफरा-तफरी की स्थिति में दिखाई दिए।