राजनीति के 'मौसम वैज्ञानिक' माने जाते थे रामविलास पासवान, अटल-मोदी सरकार में रहे मंत्री

Edited By Yaspal,Updated: 08 Oct, 2020 09:30 PM

ram vilas paswan was considered a  meteorologist  of politics

राजनीति में राम विलास पासवान को मौमस वैज्ञानिक माना जाता था। आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव कई दफा कहा कि रामविलास पासवान से अच्छा मौमस वैज्ञानिक भारत की राजनीति में नहीं हुआ। रामविलास पासवान चुनाव से पहले भांप लेते थे कि जनता का मूड क्या है। यही...

नई दिल्लीः राजनीति में राम विलास पासवान को मौमस वैज्ञानिक माना जाता था। आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव कई दफा कहा कि रामविलास पासवान से अच्छा मौमस वैज्ञानिक भारत की राजनीति में नहीं हुआ। रामविलास पासवान चुनाव से पहले भांप लेते थे कि जनता का मूड क्या है। यही वजह से है कि रामविलास पासवान 1990 से हमेशा सत्ता के साथ रहे थे। केवल 2009 का लोकसभा चुनाव अपवाद था जब रामविलास पासवान राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक रूप में फेल रहे थे। इसके अलावा कोई ऐसा मौका नहीं था जब रामविलास पासवान जनता का मूड भांपने में चूके होंगे।

राम विलास पासवान के सफल मौसम वैज्ञानिक होने के कई प्रमाण
संस्कृत में कहावत है प्रत्यक्षम किम प्रमाणं अर्थात प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। यही बात राम विलास पासवान के साथ थी। राम विलास पासवान एक समाजवादी नेता थे। उन्होंने ने भी छात्र जीवन से ही राजनीति शुरू कर दी थी। 74 वर्षीय पासवान भी लालू प्रसाद यादव, सुशील कुमार मोदी, नीतीश कुमार के दौर के राजनेता थे। इन सबमें सबसे पहले लालू प्रसाद यादव को सत्ता सुख भोगने का मौका मिला। रामविलास पासवान मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में भी एक अलग लाइन लेकर आगे बढ़ते गए।

राम विलास पासवान 1996 में पहली बार जनता दल की सरकार के दौरान केंद्र में रेलमंत्री बने थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपयी की सरकार आई उसमें भी वे 2004 तक सूचना एवं प्रचारण और खनिज मंत्रालय संभाला था। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पाला बदल लिया और वे यूपीए में शामिल हो गए थे। इसके बाद वह मनमोहन सिंह की सरकार में 2009 तक रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय संभाते रहे थे। 2009 में रामविलास पासवान मौसम गलती कर गए थे। वह लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन कर बिहार में थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश की जिसे जनता ने पूरी तरह नकार दिया था।

इसके अलावा 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी राम विलास पासवान मंजे हुए मौसम वैज्ञानिक साबित हुए थे। राज्य में लालू फैमिली के शासन के खिलाफ काफी गुस्सा था। इस गुस्से के खिलाफ नीतीश कुमार की अगुवाई में बीजेपी नेताओं को गोलबंद कर रही थी। रामविलास पासवान ने अचानक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी लोक जनशक्ति (एलजेपी) बनाई।

चिराग पासवान भी मौसम वैज्ञानिक होने का दे चुके हैं सबूत
राम विलास पासवान 2009 के लोकसभा चुनाव में मौसम का मिजाज भांपने में असफल रहे थे। वह बिहार में दलित+मुस्लिम कॉबिनेशन बनाना चाहते थे जो फेल साबित हुआ था। तब तक वह सारे गठबंधन में जाकर लाभ ले चुके थे। ऐसे में वह 2014 के लोकसभा चुनाव में किसी भी गठबंधन में शामिल होने से हिचक रहे थे। ऐसे में उनके बेटे चिराग पासवान आगे आए और मुस्लिम वोटों को नजरअंदाज कर अपनी पार्टी एलजेपी को एनडीए का घटक दल बनाने की घोषणा कर दी। जब नरेंद्र मोदी के चेहरे के चलते तथाकथित सेक्युलर पार्टियां एनडीए से किनारा कर रही थीं तब चिराग पासवान ने खुलकर नरेंद्र मोदी की तारीफ की। इसका उन्हें फायदा भी मिला। रामविलास पासवान साल 2014 से केंद्र में मंत्री थे।

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