Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Oct, 2019 06:16 AM
शास्त्र कहते हैं रमा एकादशी व्रत कामधेनु और चिंतामणि जैसा फल प्रदान करती है। इसका व्रत करने वाला भगवान विष्णु के धाम जाता है। हालांकि इस समय भगवान विष्णु शयन कर रहे हैं लेकिन कृष्ण पक्ष में
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शास्त्र कहते हैं रमा एकादशी व्रत कामधेनु और चिंतामणि जैसा फल प्रदान करती है। इसका व्रत करने वाला भगवान विष्णु के धाम जाता है। हालांकि इस समय भगवान विष्णु शयन कर रहे हैं लेकिन कृष्ण पक्ष में आने वाले अधिकतर पर्व माता लक्ष्मी को समर्पित हैं। दिवाली तो विशेष रुप से लक्ष्मी पूजा का दिन है। मां लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है इसलिए इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। आपको लक्ष्मी कृपा चाहिए या पापों से मुक्ति तो रमा एकादशी से बढ़िया शुभ दिन आपको नहीं मिलेगा।
रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं, यहां तक कि ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी दूर होते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह व्रत सुख और सौभाग्यंप्रद माना गया है। व्रती को ईश्वर के चरणों में स्थान मिलता है। एकादशी व्रत के सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। जो फल सूर्य एवं चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, दान करने से वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है। संसार रूपी भंवर में फंसे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है। स्वयं भगवान ने यही कहा है कि रमा एकादशी व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। एकादशी व्रत के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करने से इस संसार के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
पूजा का विधि-विधान
यह व्रत कार्तिक के मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन उपवास रखकर प्रात:काल के नित्य कर्म स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधानानुसार पूजा व आरती करें। नैवेद्य चढ़ाकर प्रसाद का वितरण भक्तों में करें। प्रसाद में मक्खन और मिश्री का उपयोग करें। दिन में एक बार फलाहार करें और अन्न का सेवन न करें।
रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पारण समय
एकादशी तिथि आरंभ- 24 अक्टूबर की सुबह 1 बजकर 9 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त- 24 अक्टूबर की रात 10 बजकर 19 मिनट पर
पारण का समय- 25 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 32 मिनट से लेकर 8:45 बजे तक