देश के 46वें चीफ जस्टिस बने रंजन गोगोई, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई शपथ

Edited By Pardeep,Updated: 03 Oct, 2018 08:12 PM

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज रंजन गोगोई ने देश के 46वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में आज शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति में उन्हें सीजेआई पद की शपथ दिलाई।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज रंजन गोगोई ने देश के 46वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के रूप में आज शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति में उन्हें सीजेआई पद की शपथ दिलाई। वह न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा का स्थान लेंगे। न्यायमूर्ति गोगोई का 13 महीने से थोड़ी अधिक अवधि का कार्यकाल होगा और वह अगले वर्ष 17 नवंबर को सेवानिवृत होंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच.डी. देवेगौड़ा, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के कई न्यायाधीश और एटर्नी के. के. वेणुगोपाल तथा कई मंत्री उपस्थित थे। शपथ लेने के बाद न्यायमूर्ति गोगोई ने अपनी मां शांति गोगोई के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

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18 नवंबर, 1954 को जन्मे न्यायमूर्ति गोगोई ने 1978 में वकालत पेशे की शुरुआत की थी। उन्होंने गौहाटी हाईकोर्ट में संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में वकालत की। उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गौहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 9 सितंबर, 2010 को उनका तबादला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में हो गया। उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

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उन्हें पदोन्नति देकर 23 अप्रैल, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने चीफ जस्टिस के बाद के वरिष्ठतम न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करने की परंपरा के अनुसार पिछले महीने के शुरू में ही न्यायमूर्ति गोगोई के नाम की सिफारिश अपने उत्तराधिकारी के तौर पर की थी।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वालों में थे रंजन गोगोई
गौरतलब है कि रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। रंजन उन चार जजों में से एक हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली और मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सवालिया निशान लगाए थे। इन लोगों ने कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और चीफ जस्टिस अपने पद का फायदा उठाकर रोस्टर के मामले में मनमानी कर रहे हैं।

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