सड़क से शोहरत तक का सफर तय करनेवाली रानू मंडल की जिंदगी की ये है असल कहानी...

Edited By prachi upadhyay,Updated: 02 Sep, 2019 01:29 PM

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रानू मंडल...ये वो नाम है जिसे आज हर कोई जानता है। सड़क से शोहरत का सफर तय करनेवाली रानू आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। रानू मंडल की जिंदगी बदलने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है और उसी के जरिए उनकी जिंदगी के बारे में हम हर रोज कुछ ना कुछ जान भी...

नेशनल डेस्क: रानू मंडल...ये वो नाम है जिसे आज हर कोई जानता है। सड़क से शोहरत का सफर तय करनेवाली रानू आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। रानू मंडल की जिंदगी बदलने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है और उसी के जरिए उनकी जिंदगी के बारे में हम हर रोज कुछ ना कुछ जान भी रहे हैं। लेकिन आज हम आपको उनकी जिंदगी के उस हिस्से से वाकिफ कराएंगे जो शायद अबतक आपने कहीं सुना या पढ़ा नहीं होगा।

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उनके वायरल वीडियो के बाद से ज्यादातर लोग ये ही समझते आ रहे है कि रानू पश्चिम बंगाल के रानाघाट स्टेशन पर गाना गाकर भीख मांगती थी और उसी से अपनी जिंदगी गुजारती थी। अब जाहिर सी बात है कि ये जानने के बाद आपको हमको सबको ये ही लगता रहा होगा कि शायद उनकी जिंदगी शुरू से ही ऐसी ही रही होगी। लेकिन नहीं, हम आपको बताते हैं कि ऐसा नहीं है। रानू की जिंदगी ऐसी नहीं थी। वो एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखती थी।

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रानू बताती है कि उनका जन्म एक अच्छे परिवार में हुआ था। हालांकि जब वो केवल 6 महीने की थी तभी वो अपने माता-पिता से अलग हो गई। जिसके बाद उनकी परवरिश उनकी दादी ने की। लेकिन जिंदगी फिर भी आसान नहीं थी। घर तो था लेकिन चलानेवाले लोग नहीं थे। रानू बताती हैं कि उनको शुरू से ही गाने का बहुत शौक था, लेकिन कभी मौका ही नहीं और कुछ वक्त बाद उनकी शादी कर दी गई। जिसके बाद रानू पश्चिम बंगाल से मुंबई आ गई और यहां उनकी जिंदगी ने एक अलग ही करवट ली।

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रानू बताती हैं कि उनके पति अभिनेता फिरोज खान के घर में रसोईए थे। उस वक्त उनके बेटे फरदीन कॉलेज में पढ़ते थे। फिरोज खान उनके पति और उनको अपने परिवार की तरह ही रखते थे और बहुत अच्छा व्यवहार करते थे। रानू कहती हैं कि मुंबई की जिंदगी बहुत अलग थी। वो वहां नई-नई फिल्में देखती थी और घूमती-फिरती थी। लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि उनका परिवार टूट गया और उनके पति के देहांत के बाद उनको वापस बंगाल लौटना पड़ा। जिसके बाद उनकी जिंदगी और मुश्किल हो गई और जीवन यापन के लिए वो रानाघाट रेलवे स्टेशन पर गाना गाने लगी। वो गाना रेडियो और कैसेट पर सुनकर सीखती थी।

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रानू इस वक्त 60 साल की हैं और जिंदगी के इस पड़ाव पहुंचकर उनको वो नाम, शौहरत और इज्जत मिली है। जो शायद काफी पहले मिल जानी चाहिए थी। रेलवे स्टेशन पर गाना गाकर गुजारा करनेवाली रानू ने शायद कभी नहीं सोचा होगा कि इस उम्र में इस तरह से उनकी जिंदगी बदल जाएगी। रानू बताती है कि उनका रेलवे स्टेशन पर गाना गाने वाला वीडियो वायरल होने के बाद उनकी किस्मत ही संवर गई। उनको सबसे पहले हिमेश रेशमिया ने उनको अपनी फिल्म 'हैप्पी हार्डी एंड हीर' के गाने ‘तेरी मेरी कहानी’ से बतौर प्लेबैक सिंगर चांस दिया। जिसके बाद वो अबतक 5-6 गाने रिकॉर्ड कर चुकी हैं। इतना ही नहीं रानाघाट प्रशासन ने भी रानू को एक सम्मान के तौर पर एक घर दिया है। वहीं सोशल मीडिया सेलिब्रिटी बनने की वजह से वो करीब 10 साल बाद अपनी बेटी से भी मिल पाई।

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रानू की जिंदगी बदलने में अतिंद्र चक्रवर्ती की काफी बड़ी भूमिका रही है। अतिंद्र वहीं जिन्होने रेलवे स्टेशन पर रानू मंडल का वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया। जिसके बाद अब वो बतौर मैनेजर रानू मंडल के साथ जुड़ गए हैं। अतिंद्र बताते हैं कि रानू को बॉलीवुड, बंगाली और दक्षिण भारतीय फिल्मों से खूब प्रस्ताव मिल रहे हैं। इतना ही नहीं उनको एआर रहमान के ऑफिस से भी फोन आया था और सोनू निगम ने भी उनके साथ सहयोग करने में रुचि दिखाई है। इसके अलावा रानू को लाइव परफॉर्मेंस के लिए भी कई प्रस्ताव मिले हैं। इन सब पर रानू कहती हैं कि यह देखकर मुझे काफी अच्छा लग रहा है कि लोग मेरे ऊपर अपना प्यार बरसा रहे हैं और मेरे साथ काम करना चाहते हैं।

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