महाराष्ट्र की आलोचना पर भड़के राउत, पूछा- क्या भाभीजी के पापड़ खाकर ठीक हुए कोरोना के मरीज?

Edited By vasudha,Updated: 17 Sep, 2020 01:19 PM

raut angry over criticism of maharashtra

शिवसेना ने कोरोना संक्रमण को लेकर राज्यसभा में महाराष्ट्र सरकार की गयी आलोचना का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस महामारी के नियंत्रण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है ।  शिवसेना के संजय राउत ने कोविड 19 महामारी...

नेशनल डेस्क: शिवसेना ने कोरोना संक्रमण को लेकर राज्यसभा में महाराष्ट्र सरकार की गयी आलोचना का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस महामारी के नियंत्रण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है ।  शिवसेना के संजय राउत ने कोविड 19 महामारी पर हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोरोना संकट का मुकाबला कर रहा है। 


राउत ने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर पूरे विश्व में चिन्ता प्रकट की जा रही है। किसी ने भी इस तरह की बीमारी के संबंध में सोचा नहीं था। जिस परिवार में कोरोना होता है वही इसके असली स्वरुप को जानता है। उन्होंने कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि कोरोना को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने कुछ नहीं किया उनसे वह पूछना चाहते हैं कि मुंबई में इस महामारी पर कैसे नियंत्रण किया गया। 

 

राउत ने इस दौरान केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के 'भाभीजी के पापड़' पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि मैं सदस्यों से पूछना चाहता हूं कि इतने सारे लोग आखिर कोरोना से रिकवर कैसे हुए? क्या लोग भाभीजी के पापड़ खाकर ठीक हो गए? शिवसेना नेता ने कहा कि यह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि यह लोगों की जिंदगी बचाने की लड़ाई है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता जब आम लोगों से मिलते हैं तो वे कोरोना संक्रमित हो जाते हैं। इसमें राजनीति उचित नहीं है। दरअसल राउत कोरोना वायरस के मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन के बयान पर बहस के दौरान बोल रहे थे।


वहीं इससे पहले शिवसेना ने सरकार से मांग की कि वह लाभकारी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं करे। राउत ने कहा कि नोटबंदी व कोविड—19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है। जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है। सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है। इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है। युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है।
 

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