राउत का तंज- फडणवीस की जल्दबाजी 80 घंटे में ले डूबी भाजपा को

Edited By vasudha,Updated: 01 Dec, 2019 01:07 PM

raut attack on fadnavis about maharashtra issue

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सत्ता हासिल करने में जल्दबाजी और ‘‘बचकानी टिप्पणियां'' महाराष्ट्र में भाजपा को ले डूबी और फडणवीस को विपक्ष में बैठना पड़ गया...

नेशनल डेस्क: शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सत्ता हासिल करने में जल्दबाजी और ‘‘बचकानी टिप्पणियां' महाराष्ट्र में भाजपा को ले डूबी और फडणवीस को विपक्ष में बैठना पड़ गया। राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' में अपने ‘रोखठोक' स्तंभ में दावा किया कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के साथ आने से महाराष्ट्र में जो हुआ वह देश को भी स्वीकार है। बिना किसी का नाम लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, दिल्ली की तरह चल रहे भीड तंत्र के आगे नहीं झुका। 

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मोदी-शाह के दबदबे को उद्धव ठाकरे ने किया खत्म
‘सामना' के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि उद्धव ठाकरे शक्तिशाली ‘‘मोदी-शाह के दबदबे'' को खत्म कर सत्ता में आए। उन्होंने भरोसा जताया कि यह सरकार (शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन) पांच साल तक चलेगी। उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर मजा आ रहा है कि जो लोग अजित पवार के फडणवीस के साथ गठजोड़ को शरद पवार की पहले से तय योजना बता रहे थे, वह अब महा विकास आघाडी सरकार बनने के बाद राकांपा प्रमुख के आगे नतमस्तक हो रहे हैं। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फडणवीस ने इस तरह की ‘‘बचकानी टिप्पणियां'' की कि राज्य में कोई विपक्षी दल नहीं बचेगा, शरद पवार का काल खत्म हो रहा है और प्रकाश आंबेडकर का वंचित बहुजन आघाडी मुख्य विपक्षी दल होगा। लेकिन वह (फडणवीस) खुद विपक्षी नेता बन गए। उन्होंने कहा कि फडणवीस ने कहा था कि वह वापस लौटेंगे लेकिन सत्ता में आने की उनकी जल्दबाजी 80 घंटे के भीतर भाजपा को ले डूबी। 

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फडणवीस ने तबाह कर दी राजनीति
राउत ने कहा कि जरूरत से अधिक आत्मविश्वास और उनके (फडणवीस) दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं पर भरोसे ने उनकी राजनीति तबाह कर दी। पिछले महीने के घटनाक्रम ‘सिंहासन' फिल्म की नयी पटकथा जैसी लगती है। वह उसी नाम की 1979 में आयी मराठी फिल्म का जिक्र कर रहे थे जो दिवंगत लेखक अरुण संधू के उपन्यास ‘सिंहासन ' और ‘मुंबई दिनांक' पर आधारित थी। राउत ने कहा कि महाराष्ट्र राज्यपाल के कार्यालय ने फडणवीस और राकांपा नेता अजित पवार की 80 घंटे की सरकार में ‘‘खलनायक'' की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक बार मुझसे कहा था कि वह संविधान की रूपरेखा के इतर जाकर कुछ भी नहीं करेंगे। लेकिन बाद में उन्होंने जल्दबाजी में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिला दी। ऐसा लगता है कि ‘आलाकमान' से मिले आदेश ने बड़ी भूमिका निभाई।'' ‘आलाकमान' से उन्होंने केंद्र का अप्रत्यक्ष तौर पर जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को समर्थन देने की अजित पवार की ‘बेचैनी' शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को नजदीक लेकर गई और उन्होंने गठबंधन बनाया। 

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शरद पवार की रही भूमिका 
शिवसेना नेता ने कहा कि इससे बगावत करने वाले राकांपा के अन्य विधायकों पर भी दबाव बना और हर किसी के शरद पवार के पास लौटने से उनके भतीजे अजित पवार भी लौट आए। अगर शरद पवार आगे नहीं आते तो यह गठबंधन कभी नहीं हो पाता।उन्होंने कहा कि कांग्रेस में हर किसी को शिवसेना से हाथ मिलाने को लेकर संशय था। शरद पवार ने ही सोनिया गांधी से कहा कि शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ मित्रवत् संबंध थे। राउत ने कहा कि शिवसेना ने देश में आपातकाल के बाद हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी का भी समर्थन किया था। मुंबई में हिंदी भाषी समुदाय भी शिवसेना को वोट देता है इसलिए पार्टी शहर के नगर निकाय चुनाव जीतती आ रही है। शरद पवार ने यह भी सोनिया गांधी को बताया।

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