रविशंकर ने ज्यूडीशियरी को बताया, मैं डाकिया नहीं हूं

Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Apr, 2018 09:38 AM

ravi shankar told judiciary i am not a postman

विपक्षी पार्टियां चाहे सत्तापक्ष पार्टियों पर ये आरोप लगा रही हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के काम करने के ढंग में दखल देकर उस पर चोट मारने की कोशिश कर रही हैं परंतु कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने तो...

नेशनल डेस्कः विपक्षी पार्टियां चाहे सत्तापक्ष पार्टियों पर ये आरोप लगा रही हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के काम करने के ढंग में दखल देकर उस पर चोट मारने की कोशिश कर रही हैं परंतु कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने तो बल्कि यह ऐलान किया है कि उनका दफ्तर कोई डाकिया नहीं। उनके कहने का अर्थ यह है कि उनकामंत्रालय सुप्रीम कोर्ट से मिली सिफारिशों को प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति तक नहीं पहुंचाएगा। असल में उन्होंने एक जिला और सैशन जज के खिलाफ ताजा जांच के हुक्म देकर अपनी तरफ से हिम्मत दिखाई है। उक्त जिला और सैशन जज को पहले से 2 प्रमुख जजों द्वारा क्लीनचिट दी जा चुकी है।

रविशंकर ने उक्त महिला जज द्वारा दी गई सारी शिकायत की खुद जांच की। उक्त महिला जज ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। रविशंकर ने एक अधिकारी को निर्देश दिया कि वह उक्त महिला जूनियर जज के साथ मुलाकात करे। जब रविशंकर को शिकायत संबंधी तसल्ली हो गई तो उन्होंने इसकी ताजा जांच के हुक्म दे दिए। जब सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज चेलामेश्वर ने इस वर्ष के शुरू में मुख्य जज को लिखी 5 पन्नों की चिट्ठी सार्वजनिक करके सरकार को हिला दिया था तो रविशंकर ने अगले दिन एक बयान दिया। उन्होंने पिछले जज ने  जिला और सैशन जज के खिलाफ की गई शिकायत का ब्यौरा बताया, जिस पर आलोचकों के मुंह बंद हो गए।

रविशंकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से कायम किए गए नियमों का पालन नहीं करता। उस द्वारा महिला जज के साथ इंसाफ नहीं किया गया। असल में महिला जज इतनी निराश हो चुकी है कि उसने अपना त्याग पत्र तक पेश कर दिया। हालांकि वह 27 वर्ष से भी ज्यादा समय से अपनी सेवाएं दे रही थी। महिला जज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य को भी अपनी दुखभरी कहानी बताई। अंत में महिला जज को कहा गया कि वह नौकरी न छोड़े। सरकार द्वारा एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई। उस बैठक में एक फैसला किया गया कि कानून मंत्री कर्नाटक के मुख्य जज को पत्र लिखेंगे कि उस जिला और सैशन जज के खिलाफ ताजा जांच करवाई जाए। महिला जज ने यौन शोषण का आरोप लगाया था।

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