Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Apr, 2019 08:19 AM
सरकारी बैंकों को डूबने से बचाने के लिए टैक्सपेयर्स के पैसे से पूंजी उपलब्ध कराने वाली मोदी सरकार के कार्यकाल में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक आर.टी.आई. के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने खुलासा किया
नई दिल्ली: सरकारी बैंकों को डूबने से बचाने के लिए टैक्सपेयर्स के पैसे से पूंजी उपलब्ध कराने वाली मोदी सरकार के कार्यकाल में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक आर.टी.आई. के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने खुलासा किया कि मोदी सरकार के 5 साल में सरकारी बैंकों ने करीब 5 लाख 55 हजार 603 करोड़ रुपए के बैड लोन को राइट ऑफ कर दिया है, यानी बैंकों की इतनी बड़ी राशि डूब गई है।
10 वर्ष में करीब 7 लाख करोड़ के बैड लोन को राइट ऑफ किया
सूचना का अधिकार (आर.टी.आई.) के जवाब में आर.बी.आई. ने कहा है कि बीते 10 साल में बैंकों ने करीब 7 लाख करोड़ रुपए के बैड लोन को राइट ऑफ किया है। इसका करीब 80 प्रतिशत हिस्सा मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल यानी अप्रैल 2014 से दिसम्बर 2018 के बीच राइट ऑफ किया गया है। आर.बी.आई. की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अप्रैल 2014 के बाद से करीब 5 लाख 55 हजार 603 करोड़ रुपए के बैड लोन को राइट ऑफ किया गया है।
क्या होता है राइट ऑफ
राइट ऑफ का मतलब है कि ऐसा लोन जिसके चुकाए जाने की उम्मीद खत्म हो जाती है और उसे बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है। बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ-सुथरा रखने के लिए ऐसे बैड लोन को राइट ऑफ कर देते हैं।
आर.बी.आई. के पास नहीं लोगों को दिए लोन की जानकारी
बैंक के सूत्रों का कहना है कि व्यक्ति विशेष के मामले में कर्ज लेने वाले लोगों और राइट ऑफ किए गए लोन की रकम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बैंक यह दावा करते हैं कि राइट ऑफ के बावजूद रकम की रिकवरी के प्रयास चलते रहते हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि 15 से 20 प्रतिशत से ज्यादा रकम की रिकवरी नहीं हो पाई है। वहीं आर.बी.आई. के आंकड़ों से साबित होता है कि बैड लोन की रकम कम दिखाने के लिए बैंकों में होड़ लगी रही और 2016-17 में 1,08,374 करोड़ और 2017-18 में 1,61,328 करोड़ के बैड लोन को राइट ऑफ किया गया। 2018-19 के शुरूआती 6 महीनों में 82,799 करोड़ रुपए की रकम राइट ऑफ की गई।