ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में छोड़ दी पट्टी, पढ़िए डॉक्टरों की लापरवाही का यह मामला

Edited By suman,Updated: 04 Jun, 2018 02:12 PM

read this case of doctor s negligence in bhopal

राजधानी के निजी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। हैरानी की बात तो यह है कि महिला के दर्द से तड़पने के बावजूद भी डॉक्टरों ने उसका चैकअप करना जरूरी न समझा।  कोहेफिजा निवासी फरहा खान 24...

भोपाल: राजधानी के निजी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। हैरानी की बात तो यह है कि महिला के दर्द से तड़पने के बावजूद भी डॉक्टरों ने उसका चैकअप करना जरूरी न समझा। 
कोहेफिजा निवासी फरहा खान 24 जनवरी 2018 को मोतिया तालाब के सामने स्थित सैंट्रल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में डिलेवरी के लिए भर्ती हुई थी।

25 जनवरी को उसे सिजेरियन ऑपरेशन से डिलेवरी हुई। डिलेवरी के बाद उसके पेट में दर्द की शिकायत शुरू हो गई। जब वह डॉक्टर के पास गई तो बताया गया कि उन्हें आंत का टाइफाइड ज्वर है। डॉक्टरों ने टाइफाइड ज्वर की दवाएं खाते रहने के लिए कहा। 30 जनवरी 2018 को महिला को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन उसका पेट दर्द कम होने की जगह बढ़ रहा था। कुछ दिनों बाद जब दर्द असहनीय हो गया तो वह फिर अस्पताल पहुंची। डॉक्टर ने बताया कि पेट में अल्सर है जो पहले से ही था। लेकिन गर्भावस्था की वजह से दिखाई नहीं दे रहा था।

इस तरह आई लापरवाही सामने

महिला ने फिर से अन्य डॉक्टर से चैकअप करवाया। डॉक्टर ने बताया कि पेट में ट्यूमर जैसे आकार का कुछ है, जो बढ़ रहा है और उसे जल्द निकालना होगा। 18 फरवरी 2018 को उसका का ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद पता चला कि उसके पेट में कोई ट्यूमर नहीं था। सिजेरियन डिलेवरी के दौरान डॉक्टर द्वारा पेट में पट्टी छोड़ने की वजह से यह समस्या बनी। इससे पेट की आंतों में पस पड़ गया और आंते आपस में चिपक गई थी। अगर ऑपरेशन कर पट्टी नहीं निकाली जाती, तो महिला की जान भी जा सकती थी।

फोरम पहुंचा मामला

निजी अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने और महिला की जान को जोखिम में डालने का मामला जिला उपभोक्ता फोरम पहुंचा है। उपचार में लापरवाही कर उसकी जान जोखिम में डालने वाले डॉक्टर और सेंट्रल हॉस्पिटल प्रबंधन से महिला ने करीब साढ़े 17 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की गुहार लगाई है। फोरम के पीठासीन सदस्य सुनील श्रीवास्तव की बेंच ने प्रारंभिक तर्क सुनने के बाद, मामले को सुनवाई में स्वीकार करने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है। डॉक्टरों ने  बड़ी लापरवाही बरती है। इससे महिला की जान भी जा सकती थी। अगली बेंच में डॉक्टरों के ऊपर क्षतिपूर्ति तय होगी।

 

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