बाय-बाय 2019: अनुच्छेद 370 व 35-ए हटने के उपरांत पत्थरबाजी व आतंकवाद में आई कमी

Edited By rajesh kumar,Updated: 31 Dec, 2019 12:55 PM

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वर्ष 2019 अब समाप्त होने जा रहा है। यह वर्ष जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए भारी उथल-पुथल वाला रहा। अगस्त में लोकसभा, राज्यसभा में बिल पारित करके इस राज्य से अनुच्छेद 370 व 35-ए समाप्त कर इसको 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। जम्मू-कश्मीर अलग...

ऊधमपुर(रमेश): वर्ष 2019 अब समाप्त होने जा रहा है। यह वर्ष जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए भारी उथल-पुथल वाला रहा। अगस्त में लोकसभा, राज्यसभा में बिल पारित करके इस राज्य से अनुच्छेद 370 व 35-ए समाप्त कर इसको 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बना, जबकि लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। विधान परिषद समाप्त कर दी गई।

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इस घटना का पूरे देश में स्वागत किया गया परंतु कुछ देश विरोधी व समाज विरोधी ताकतों ने इसके विरुद्ध आवाज उठाने के प्रयास किए। पाकिस्तान भी इससे काफी घबरा गया तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय मंच तक उछाला परंतु हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी। कहीं और बस नहीं चला तो उसने सीमा पर बार-बार लगभग पूरे वर्ष में 1000 बार से ज्यादा सीज फायर का उल्लंघन किया तथा सीमा पर रह रहे लोगों को निशाना बनाया, जिससे कई लोग मारे गए। लोगों को बार-बार घर छोडऩे पड़े। भारतीय सेना ने भी उसको मुंहतोड़ उत्तर दिया तथा कई बार उनकी चौकियां तबाह कीं। अनुच्छेद 370 व 35-ए समाप्त होने से राज्य में आतंकवाद में भारी कमी आई। पत्थरबाजी भी लगभग थम सी गई है तथा जो आतंकवादी सक्रिय रहते थे वे अपने आपको बेबस समझ रहे हैं। अगस्त से पहले यह काफी सक्रिय थे। इस वर्ष 200 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। विशेषकर उनके अधिकांश नेताओं का सफाया हो गया है। अभी भी 250 के लगभग आतंकवादी हैं जो अब अपने आपको बचाने का प्रयास कर रहे हैं।

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पूरे राज्य में अब हालात हुए सामान्य: पूरे राज्य में अब हालात सामान्य हो गए हैं। कश्मीर घाटी में बाजार, कार्यालय, स्कूल, कॉलेज खुल गए हैं। प्रारंभ में 2 माह तक विरोध होता रहा परंतु धीरे-धीरे लोग वास्तविकता को समझने लगे तथा उन्होंने दुकानें खोल दीं और स्कूल कॉलेजों में भी छात्रों द्वारा जाना प्रारंभ कर दिया गया। प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का तबादला गोवा में कर दिया गया, क्योंकि यहां पर अब राज्यपाल न होकर लैफ्टिनैंट गवर्नर की नियुक्ति की गई। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू को लैफ्टिनैंट गवर्नर बनाया गया जबकि लद्दाख के लिए आर.के. माथुर को लैफ्टिनैंट गवर्नर बनाया गया।

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राजमार्ग को फोर लेन बनाने के कार्य की रफ्तार धीमी: जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन बनाने का कार्य धीमी गति से चल रहा है, जिस कारण यह मार्ग बार-बार बंद हो रहा है, जिससे लोगों को भारी मुश्किल का सामना करना पड़ा तथा सड़क दुर्घटनाओं में भी वृद्धि देखने को मिली। कटड़ा-बनिहाल रेल लाइन जो 111 किलोमीटर लंबी है, के कार्य में भी विशेष तेजी देखने को नहीं मिली, जिससे ये दोनों प्रोजैक्ट समय सीमा में पूरे होने की संभावनाएं कम ही दिखाई देती है। रेल विभाग ने कटड़ा-दिल्ली के बीच अधिक स्पीड वाली वंदे भारत रेल सेवा प्रारंभ की है जिसका लाभ यात्रियों को मिल रहा है।

नई आशाओं को लेकर आएगा नया वर्ष: नया वर्ष इस वर्ष से भी ज्यादा चुनौतियों भरा है। 3 पूर्व मुख्यमंत्री व अन्य नेता जो नजरबंद हैं, उनकी रिहाई के उपरांत राज्य की स्थिति क्या होगी यह बता पाना मुश्किल है। इस वर्ष भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष भी मिलेगा। हो सकता है कि कांग्रेस को भी नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाए, यह तो समय ही बताएगा। कुल मिलाकर यह वर्ष राज्य के लिए मिला-जुला वर्ष रहा तथा नई आशाओं को लेकर आया है। यह राज्य 31 अक्तूबर से केंद्र शासित प्रदेश बन गया है परंतु अभी तक व्यापक परिवर्तन नहीं आया है। यह परिवर्तन 1 अप्रैल 2020 से देखने को मिलने की संभावना है।

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श्री माता वैष्णो देवी यात्रा मेें की गई कमी दर्ज: इस बार अमरनाथ यात्रा अनुच्छेद 370 को हटाने को देखते हुए बीच में ही समाप्त करनी पड़ी। श्री माता वैष्णो देवी यात्रा मेें भी कुछ कमी देखने को मिली। इस वार वहां पर 10 किलोग्राम सोने का माता का द्वार गुफा के बाहर बनाया गया, जो उल्लेखनीय कदम है। वहीं यात्रियों की सुविधाओं के लिए कई कदम उठाए गए हैं। माता के दरबार व भैरों घाटी के मध्य गंडोला सेवा प्रारंभ की गई है। यात्रियों के लिए नि:शुल्क लंगर भी रास्ते में लगाया गया है।

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटें बढ़कर हुईं 90: इस वर्ष भी विधानसभा चुनाव नहीं हो सके, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटें 83 से बढ़ाकर 90 गई है। इसके लिए नया परिसीमन आयोग बनाया जाना है। उसी के अनुसार हर विधानसभा की नई सीमाएं बनेंगी। इसी के अनुसार चुनाव होंगे। राज्य के इतिहास में पहली बार ब्लॉक डिवैल्पमैंट कौंसिल के चुनाव हुए हैं। अब अगले वर्ष जिला डिवैल्पमैंट कौंसिल के चुनाव होंगे। इससे पंचायतों का विकास तेज होगा तथा उनको अधिकार भी अधिक मिलेंगे।

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