ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रहे चीनी बांध को लेकर भारत ने कहा, हम चीन के संपर्क में हैं

Edited By Yaspal,Updated: 03 Dec, 2020 09:24 PM

regarding the chinese dam being built on the brahmaputra river

भारत ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर नदी की धारा मोड़ने के रिपोटरं पर चीन सरकार से समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की है और उससे अनुरोध किया है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऐसी कोई गतिविधि नहीं की जाए जिससे निचले इलाकों के हितों पर कोई दुष्प्रभाव...

नई दिल्लीः भारत ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाकर नदी की धारा मोड़ने के रिपोटरं पर चीन सरकार से समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की है और उससे अनुरोध किया है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऐसी कोई गतिविधि नहीं की जाए जिससे निचले इलाकों के हितों पर कोई दुष्प्रभाव पड़े।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आज यहां एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में सवालों के जवाब में कहा कि उन्होंने इस बारे में मीडिया रिपोटरं को देखा है। सरकार सावधानी पूर्वक ब्रह्मपुत्र नदी पर सभी गतिविधियों की निगरानी कर रही है। ऊंचाई से आने वाली नदियों के जल पर आश्रित होने के कारण सरकार चीन सरकार को अपने विचारों एवं चिंताओं से लगातार अवगत कराते आ रही है और अब भी उससे यह सुनिश्चित करने काअनुरोध किया है कि ऊंचाई वाले इलाकों में ऐसी गतिविधियां नहीं हों जो निचले इलाकों के हितों को नुकसान पहुंचाएं।

श्रीवास्तव ने कहा कि चीनी पक्ष ने भारतीय पक्ष को कई बार यही कहा है कि वे नदी के बहते जल पर ही पनबिजली परियोजना बना रहे हैं जिसमें ब्रह्मपुत्र की जलधारा को कहीं से भी मोड़ने का कोई इरादा नहीं है। चीन के साथ 2006 में स्थापित विशेषज्ञ स्तर की संस्थागत व्यवस्था के अंतर्गत तथा राजनयिक वार्ताओं में सीमापार बहने वाली नदियों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत होती है। हम सीमापार से बहने वाली नदियों के मुद्दे पर अपने हितों की रक्षा के लिए चीन के साथ लगातार संपर्क में हैं।

अमेरिकी आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग की ताजा रिपोर्ट में भारत को चीन से खतरे के आकलन से जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि भारत का पक्ष 15 जून को गलवान घाटी की घटना के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी स्टेट काउंसलर एवं विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत के बाद जारी प्रेस वक्तव्य में साफ कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि मूल मुद्दा यह है कि दोनों पक्ष विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉलों का समग्रता से और सख्ती से पालन करें जिनमें 1993 एवं 1996 में हस्ताक्षरित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के करार शामिल हैं। इसके लिए आवश्यक है कि एलएसी पर सेना का जमावड़ा नहीं हो, प्रत्येक पक्ष एलएसी का संजीदगी से सम्मान करे और उसे प्रभावित करने के लिए एकतरफा कोई कदम नहीं उठाये। 

भारत चीन एलएसी के मुद्दे से जुड़े एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से सतत संपकर् बनाये हुए है ताकि एलएसी के टकराव वाले सभी बिन्दुओं पर पूर्ण रूप से सेनाएं सुगमता से एक दूसरे के सामने से हटा ली जायें तथा पूर्ण रूपेण शांति एवं स्थिरता बहाल हो जाए। दोनों पक्षों ने कोर कमांडर स्तर की एक और बैठक करने पर सहमति व्यक्त की है।

 

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