राफेल सौदे की घोषणा के बाद रिलायंस एयरोस्ट्रक्टर को मिला लाइसेंस-कांग्रेस

Edited By Yaspal,Updated: 21 Jan, 2019 05:38 AM

reliance aerospace licensing license after congress announced rafael deal

कांग्रेस ने रविवार को राफेल मामले में नया रहस्योदघाटन करते हुए कहा है कि इस सौदे की घोषणा होने के बाद रिलायंस एयरोस्ट्रक्टर लिमिटेड कंपनी को तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने लाइसेंस प्रदान किया था। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका...

नई दिल्लीः कांग्रेस ने रविवार को राफेल मामले में नया रहस्योदघाटन करते हुए कहा है कि इस सौदे की घोषणा होने के बाद रिलायंस एयरोस्ट्रक्टर लिमिटेड कंपनी को तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने लाइसेंस प्रदान किया था। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने यहां आज पत्रकारों से कहा कि यह सर्ववीदित है कि रिलायंस डिफेंस कंपनी राफेल सौदे से 12 दिन पहले बनी थी लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि रिलायंस एयरोस्ट्रक्टर लिमिटेड कंपनी 24 अप्रैल 2015 में बनी यानी दस अप्रैल 2015 को राफेल सौदे की घोषणा के बाद सीतारमण ने उस कंपनी को लाइसेंस प्रदान किया था।
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चतुर्वेदी ने यह सवाल उठाया कि इसके पीछे वाणिज्य मंत्रालय किसके व्यापारिक हितों की रक्षा कर रहा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गत चार जनवरी को संसद में अपने भाषण में रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा था कि वह राफेल सौदे की आफसेट पार्टनर के बारे में जानकारी नहीं दे सकते हैं जबकि हकीकत यह है कि 28 अक्टूबर 2017 को फ्रांस के रक्षा मंत्री ने श्रीमती सीतारमण से मुलाकात की थी और दोनों दासो रिलायंस संयुक्त उपक्रम की आधारशिला रखने के लिए नागपुर गये थे और उनके साथ मंत्रिमंडल के सहयोगी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी थे।
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कांग्रेस प्रवक्ता ने यह सवाल उठाया कि सीतारमण ने आखिर संसद के सामने यह झूठ क्यों बोला और उन्होंने किस कार्पोरेट संस्था हितों की रक्षा के लिए ऐसा किया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सीतारमण ने पिछले साल 14 सितंबर को यह दावा किया था कि एचएएल के पास 108 विमान बनाने की क्षमता नहीं है, आखिर ऐसा कहकर सीतारमण किस कार्पोरेट के हितों का बचाव कर रही थी।
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उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब एचएएल के साथ 13 मार्च 2014 को 36 हजार करोड़ का वर्कशेयर समझौता हो चुका था तो एचएएल से राफेल का ठेका क्यों छीन लिया गया। आखिर क्या कारण हैं कि 75 साल पुराने एचएएल को एक ऐसी कंपनी से सौदे में हाथ धोना पड़ा जो कंपनी राफेल सौदे की घोषणा 12 दिन बाद शुरु हुई। 

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