Edited By Tanuja,Updated: 22 Apr, 2020 01:32 PM
विश्व में तबाही मचाने वाले कोरना वायरस का अब सबसे खथरनाक रूप सामने आया है। यह दावा किया है चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी ने शोधकर्ता प्रो. ..
बीजिंगः विश्व में तबाही मचाने वाले कोरना वायरस का अब सबसे खथरनाक रूप सामने आया है। यह दावा किया है चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी ने शोधकर्ता प्रो. लांजुआन ने। उनका कहना है कि उन्होंने कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक स्ट्रेन खोजा है खुद को तेजी से बदलने (म्यूटेट) की क्षमता है और अब तक इसकी इस खासियत को कमतर आंका गया है। चीन में 11 मरीजों पर हुई स्टडी में इस वायरस का सबसे खतरनाक रूप मिला है। प्रो. लांजुआन चीन के जाने माने वैज्ञानिक हैं। वे पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने बताया था वुहान से दुनियाभर में महामारी फैल सकती है और यहां लॉकडाउन करना सबसे जरूरी है।
जानें रिसर्च से जुड़ी खास बातें
चीन के मरीजों में मिला खतरनाक स्ट्रेन: प्रो. लांजुआन के मुताबिक, लैब में जो कोरोनावायरस के रूप देखे गए, वे अब तक खोजे गए इसके दूसरे स्ट्रेन से खतरनाक हैं। कोरोनावायरस खुद को तेजी से बदलता है और संक्रमण का तरीका भी। शोधकर्ताओं को इस बात की जानकारी तब मिली जब वे चीन के हॉन्गझाउ प्रांत कोरोना से संक्रमित मरीजों पर शोध कर रहे थे।
नया स्ट्रेन यूरोप में मिले कोरोना जैसा
शोधकर्ताओं ने मरीजों के शरीर से कोशिकाएं लीं और उस पर वायरस के नए स्ट्रेन का असर देखा। उन्होंने पाया कि वायरस का यह स्ट्रेन संक्रमण के अलावा मौत की वजह भी बन सकता है। शोध में शामिल 11 मरीजों में वायरस का जो स्ट्रेन मिला है यह यूरोप में मिले कोरोना के स्ट्रेन जैसा ही है। एक और स्ट्रेन मिला है जो कम खतरनाक है। यह अमेरिका के कोरोना के सबसे कम संक्रमित क्षेत्र में पाया जाने वाले स्ट्रेन जैसा है।
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शाेधकर्ताओं ने खोजे कोरोना के तीन स्ट्रेन
चीन से पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस के ऐसे 3 स्ट्रेन्स का पता लगाया जिसने पूरी दुनिया में संक्रमण फैलाया। इन्हें टाइप-ए, बी और सी नाम दिया गया है। शोधकर्ताओं ने संक्रमित हुए इंसानों में से वायरस के 160 जीनोम सीक्वेंस की स्टडी की। ये सीक्वेंस अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले कोरोनावायरस से काफी हद तक मिलते-जुलते थे, न कि वुहान से। ये वायरस के वो स्ट्रेन थे जो चमगादड़ से फैले कोरोनावायरस से मिलते थे। रिसर्च टीम ने 24 दिसम्बर 2019 से 4 मार्च 2020 के बीच दुनियाभर से सैम्पल लेकर डाटा तैयार किया। नए कोरोनावायरस के तीन ऐसे प्रकार मिले जो एक-दूसरे जैसे होने के बावजूद अलग थे।
- टाइप-ए: यह कोरोनावायरस का वास्तविक जीनोम था, जो वुहान में मौजूद वायरस में है। इसका म्यूटेशन हुआ और उनमें पहुंचा जो अमेरिकन वुहान में रह रहे थे। यहां से लौटने वाले अमेरिकी और ऑस्ट्रेलिया के लोगों में यही वायरस उनके देशों में पहुंचकर फैला।
- टाइप-बी : पूर्वी एशियाई देशों में कोरोनायरस का यह स्ट्रेन सबसे फैला। हालांकि, यह स्ट्रेन एशिया से निकलकर दूसरे देशों में अधिक नहीं पहुंचा।
- टाइप-सी: यह स्ट्रेन खासतौर पर यूरोपीय देशों पाया गया। इसके शुरुआती मरीज फ्रांस, इटली, स्वीडन और इंग्लैंड में मिले थे। रिसर्च के मुताबिक, इटली में यह वायरस जर्मनी से पहुंचा और जर्मनी में इसका संक्रमण सिंगापुर के लोगों के जरिए हुआ।
वैक्सीन और स्ट्रेन को समझना जरूरी
रिसर्च टीम का कहना है कि जितना जरूरी है वैक्सीन तैयार करना उतना ही अहम है उसके बदलते रूपों के कारण पड़ने वाले असर को समझना। दुनियाभर में इस वायरस का सबसे बुरा असर अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और स्पेन में हुआ है। जर्मनी और न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल हैं जहां संक्रमण के मामले कम मिले। वहीं स्वीडन में संक्रमण और मौत दोनों के ही मामले कम रहे हैं।
भारत में कोरोनावायरस सिंगल म्यूटेशन में
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के विशेषज्ञ डॉ. सीएच मोहन राव के मुताबिक, भारत में कोरोनावायरस सिंगल म्यूटेशन में है। इसका मतलब है कोरोनावायरस अपना रूप नहीं बदल पा रहा है। अगर ये सिंगल म्यूटेशन में रहेगा तो जल्दी खत्म होने की संभावना है। अगर वायरस का म्यूटेशन बदलता है तो खतरा बढ़ेगा और वैक्सीन खोजने में भी परेशानी होगी।