Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Mar, 2020 08:34 AM
92 प्रतिशत भारतीय सोने से पहले अपने स्मार्टफोन चैक करते हैं। एक नए अध्ययन में सामने आया कि डिजिटल सेवाएं नींद में बाधा बनकर उभरी हैं जो लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड, 2020 ने कहा कि अध्ययन के लिए...
बेंगलुरु: 92 प्रतिशत भारतीय सोने से पहले अपने स्मार्टफोन चैक करते हैं। एक नए अध्ययन में सामने आया कि डिजिटल सेवाएं नींद में बाधा बनकर उभरी हैं जो लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड, 2020 ने कहा कि अध्ययन के लिए एकत्र की गई 50,000 प्रतिक्रियाओं में से 54 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने देर रात सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओ.टी.टी.) प्लेटफार्मों में शामिल होकर अपनी नींद खराब की। अध्ययन में लगभग एक-तिहाई उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि डिजीटल उपकरणों से बचने से उनकी नींद की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
वेकफिट के सह-संस्थापक और निदेशक चैतन्य रामालिंगगौड़ा ने कहा कि जीवनशैली के दबाव के कारण लोगों की नींद प्रभावित हो रही है जिसके चलते प्रतिरक्षा, चयापचय और मनोदशा प्रभावित होती है जबकि मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी जीवन शैली की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। पिछले साल के सर्वेक्षण की तुलना में अपने भागीदारों के साथ बिस्तर पर न जाने वाले लोगों की संख्या में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अध्ययन के अनुसार 25-34 के बीच आयु वर्ग के लोगों में नींद से संबंधित समस्याओं के अधिकतम लक्षण दिखाई दिए।