Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Jan, 2019 02:13 PM
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की घोषणा की है। इस पर सरकार संविधान संशोधन बिल भी लाई है
नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की घोषणा की है। इस पर सरकार संविधान संशोधन बिल भी लाई है जोकि लोकसभा में पास हो चुका है और राज्यसभा में इसका पारित होने बाकी है। इसी बीच 1992 में मंडल कमीशन पर फैसला देने वाले और आरक्षण सीमा 50 फीसदी निर्धारित करने वाले जजों में शामिल पूर्व जस्टिस एएम अहमदी ने मोदी सरकार के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उलट बताया। जस्टिस अहमदी ने कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला सिर्फ चुनावी स्टंट है।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत पिछड़ा वर्ग का निर्धारण आर्थिक आधार पर बिल्कुल नहीं हो सकता। इसी के मद्देनजर हमने बहुमत वाले फैसले में तब इस बात का निर्णय लिया। जस्टिस अहमदी ने हैरानी जताते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि मोदी सरकार ने यह फैसला लेने से पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से राय ली भी है या नहीं। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक फैसला है और मुझे याद है कि जब हम लोग 1992 में आरक्षण पर सुनवाई कर रहे थे को वेणुगोपाल ने बहस में हिस्सा लिया था उल्लेखनीय है कि जस्टिस अहमदी संविधान पीठ की उन 9 जजों की बेंच में शामिल थे जिन्होंने इंद्रा शाहने बनाम भारत संघ मामले की सुनवाई की थी।