इस मानसून की बारिश से अगली गर्मी में जलसंकट से जलाशयों को मिलेगी राहत

Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Sep, 2018 10:06 AM

reservoirs to get water from the monsoon in the next summer

दक्षिण पश्चिम मानसून के अभी लगभग एक सप्ताह तक और सक्रिय रहने का तात्कालिक लाभ रबी की फसल को तो होगा ही, इसके अलावा दीर्घकालिक लाभ अगले साल गर्मी के मौसम में जल संकट से राहत के रूप में भी मिलेगा। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य तौर

नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिम मानसून के अभी लगभग एक सप्ताह तक और सक्रिय रहने का तात्कालिक लाभ रबी की फसल को तो होगा ही, इसके अलावा दीर्घकालिक लाभ अगले साल गर्मी के मौसम में जल संकट से राहत के रूप में भी मिलेगा। मौसम विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य तौर पर हर साल एक सितबंर तक दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी शुरु होने से इतर इस साल इसके 12 सितंबर तक लौटने की संभावना है। मौसम विज्ञानी इसे विस्तारित मानसून कहते हैं। विस्तारित मानसून के फायदे और नुकसान के बारे में मौसम विभाग के वैज्ञानिक चरण सिंह ने मंगलवार को बताया कि इसके तात्कालिक एवं दीर्घकालिक लाभ के अलावा उत्तराखंड सहित आसपास के इलाकों में बाढ़ के खतरे का नुकसान भी जुड़ा है।

सिंह ने बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून 15 अगस्त के बाद उत्तर भारतीय राज्यों में सर्वाधिक सक्रिय होता है। इस साल विस्तारित मानसून के इन राज्यों में सक्रिय होने के कारण पिछले कुछ दिनों में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश इलाकों में सात से 15 सेंमी तक बारिश दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि जून से अगस्त तक की बारिश के दौरान सभी 91 बड़े बांधों और प्रमुख जलाशयों में पानी की अतिरिक्त मात्रा को छोड़ना पड़ता है। विस्तारित मानसून की बारिश नहीं होने से जलाशयों में पानी की मात्रा में कमी, अगले साल गर्मी आने तक लगातार बढ़ती जाती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बांध और जलाशयों में पानी की यह कमी जलसंकट का कारण बनती है।

उन्होंने बताया कि इन राज्यों में चंबल सहित अन्य नदियों पर बने बांधों और जलाशयों में विस्तारित मानसून की बारिश ही बाढ़ के खतरे से बचने के लिए छोड़े गए पानी की कमी को पूरा करती है। जो गर्मी में जलसंकट की समस्या से निपटने में मददगार होता है। उल्लेखनीय है कि उत्तरी क्षेत्र के सबसे बड़े भाखड़ा बांध में इस साल एक जुलाई को जलस्तर 455.18 मीटर था जो 31 जुलाई को 477.84 मीटर तक पहुंच गया था। बांध से पानी छोडऩे के बाद अगस्त के अंतिम सप्ताह से विस्तारित मानसून की बारिश के दौरान इसका जलस्तर एक सितंबर को बढ़कर 500 मीटर तक पहुंच गया। पानी की यह बढ़ी हुई मात्रा संबद्ध इलाकों में अगले मानसून तक जल संकट से निपटने में मददगार साबित होती है।

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