राफेल पर मचे बवाल पर रक्षा मंत्री का जवाब, बताया कांग्रेस राज में क्यों रद्द हुई डील

Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Sep, 2018 11:50 AM

responding to the defense minister on rafale deal

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय 126 राफेल जेट विमानों की खरीद का करार हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) की खराब हालत की वजह से परवान नहीं चढ़ सका।

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय 126 राफेल जेट विमानों की खरीद का करार हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) की खराब हालत की वजह से परवान नहीं चढ़ सका। सीतारमण ने संपादकों तथा संवाददाताओं के साथ एजेंसी के मुख्यालय में बातचीत के दौरान कहा कि एचएएल के पास फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन के साथ मिल कर भारत में इस लड़ाकू विमान के विनिर्माण के लिए जरूरी क्षमता ही नहीं थी और सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी काम की गारंटी देने की स्थिति में नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2013 में तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी के हस्तक्षेप ने उस समय इन विमानों के सौदे के लिए की जा रही कवायद को खत्म कर देने का काम किया।
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सीतारमण ने कहा कि एंटनी ने उस समय हस्तक्षेप किया, जब लागत पर बातचीत करने वाली समिति इस सौदे को अंतिम रूप दे रही थी। एंटनी के हस्तक्षेप पर उन्होंने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री ने फाइल ऐसे स्तर पर रोकी थी, जहां उनकी कोई भूमिका नहीं थी। हालांकि, उन्होंने एंटनी द्वारा ऐसा करने की कोई वजह नहीं बताई। पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह सीतारमण के बयान पर फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहते हैं। सीतारमण ने कहा कि एचएएल के साथ कई दौर की बातचीत के बाद फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन को महसूस हुआ कि यदि राफेल जेट का उत्पादन भारत में किया जाता है, तो इसकी लागत काफी अधिक बढ़ जाएगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल विमान की हथियार प्रणाली, वैमानिकी और अन्य जोड़ी गई चीजें संप्रग के समय चली वार्ता की तुलना में कहीं बहुत श्रेष्ठ होंगी।
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उन्होंने दावा किया उनकी सरकार ने विमान की कीमत के बारे में जो करार किया है, उसके तहत ये विमान उस समय की सहमति से 9 प्रतिशत कम कीमत पर हासिल कर रही है। इसकी आपूर्ति सितंबर, 2019 से शुरू होने की उम्मीद है। वर्ष 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट विमान खरीदने के लिए करार किया था। कांग्रेस इस सौदे में अनियमितता का आरोप लगा रही है। इस सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के लोगों ने इस मुद्दे को अपनी ओर से ‘दफा’ कर दिया है, क्योंकि उनका प्रधानमंत्री मोदी में भरोसा है।

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