Edited By ,Updated: 09 Dec, 2016 08:56 AM
शहर की सड़कों पर दुपहिया वाहन से चलना सबसे रिस्की है।
चंडीगढ़ (संदीप): शहर की सड़कों पर दुपहिया वाहन से चलना सबसे रिस्की है। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि शहर की सड़कों पर होने वाले जानलेवा हादसों का शिकार होने वालों में सबसे अधिक दोपहिया वाहन चालक होते हैं। वर्ष 2016 के दौरान शहर की सड़कों पर हुए हादसों में 11 माह में करीब 140 लोग जान गंवा चुके हैं। इनमें 40 प्रतिशत वे हैं, जो दोपहिया वाहन चला रहे थे। एस.पी. ट्रैफिक ईश सिंगल का कहना है कि नियमों की अवहेलना करना और हादसे में अधिक चोट आने के कारण ही दोपहिया वाहन चालक जानलेवा हादसों के शिकार हो जाते हैं। पुलिस समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को ट्रैफिक नियमों के बारे में जागरूक करती है। नियमों की अवहेलना करने वालों के साथ सख्ती करते हुए उनके चालान काटे जाते हैं। पुलिस ऐसे हादसों पर नकेल कसने के लिए हर तरह के प्रयास करती है।
क्या कहते हैं आंकड़े
11 माह के दौरान 50 दोपहिया चालक अपनी जान गंवा चुके हैं। मरने वालों में 47 पुरुष और 3 महिलाएं हैं। इनके मुकाबले फोर व्हीलर का सवार आंकड़ों की दृष्टि से सुरक्षित माना जा रहा है। कार या जीप जैसे वाहनों में सवार लोगों के साथ होने वाले जानलेवा हादसों की बात करें तो इस दौरान 16 लोगों को जान गंवानी पड़ी। इनमें 10 पुरुष और 6 महिलाएं शामिल हैं। वहीं हैवी व्हीकल ट्रक और बस में सवारी करने वाले मात्र 2 लोग ही हादसों के शिकार बने।
क्यों गंवानी पड़ती है जान
ट्रैफिक पुलिस द्वारा शहर में होने वाले सड़क हादसों के अध्ययन के लिए गठित किए गए एक्सीडैंटल एनालिसिस सैल की जांच में सामने आया है कि दोपहिया वाहनों के चालक ही सबसे अधिक नियमों की अवहेलना करते हैं। तेज रफ्तारी, हैल्मेट न पहनना, शराब पीकर वाहन चलाना, रांग टर्न लेना, रांग साइड वाहन चलाना जैसी वजहों से वे हादसे का शिकार हो जाते हैं। सड़क पर गिरने के दौरान उनके सिर या शरीर की अन्य संवेदनशील जगहों पर गंभीर चोटें आती हैं, जिसके चलते या तो मौके पर ही या अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है।