इस देश में नीले रंग से रंगी जा रही सड़कें, भारत भी अपना सकता है तरीका

Edited By Tanuja,Updated: 05 Sep, 2019 10:58 AM

roads are turning blue in qatar can india implement this interesting technique

खाड़ी देश दोहा ने अपनी सड़कों को नीले रंग में रंगना शुरू कर दिया है। गल्फ न्यूज में प्रकाशित खबर के अनुसार, शहर के पारंपरिक पुरानी सड़कों को नीले रंग से रंगा गया है

दुबईः खाड़ी देश दोहा ने अपनी सड़कों को नीले रंग में रंगना शुरू कर दिया है। गल्फ न्यूज में प्रकाशित खबर के अनुसार, शहर के पारंपरिक पुरानी सड़कों को नीले रंग से रंगा गया है । इससे पहले लास ऐंजिलिस, मक्का,टोक्यो भी अपनी सड़कों को नीले रंग में रंग चुके हैं। दरअसल ग्लोबल वॉर्मिंग और बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए दुनिया के कई देश लगातार कदम उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इन नीली सड़कों को लेकर खूब च्रर्चा कर रहे हैं और  पर्यावरण सुरक्षा  के लिए अपनाया जा रहा अच्छा तरीका बता रहे हैं। 

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18 महीने तक चले प्रयोग के बाद 19 अगस्त को शहर के एक प्रमुख रोड को पूरी तरह से नीले रंग में लॉन्च किया गया। तापमान नियंत्रण के लिए नीले रंग की सड़क शहर के व्यस्त सड़कों में से एक सौक वकीफ हैरिटेड जोन की सड़कें हैं। इस सड़क पर 1 मिमी. मोटी नीले रंग की परत चढ़ाई गई है। इसके साथ ही साइकल और पैदल यात्रियों की संख्या में वृद्धि का असर देखने के लिए 200 मीटर लंबा कटारा क्लचरल विलेज के पास भी मार्ग निर्धारित किया गया है। इन सड़कों को नीले रंग से रंगने की पीछे उद्देश्य तापमान नियंत्रण के प्रभाव को देखना है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह नीली कोटिंग सूर्य से निकलने वाले रेडिएशन को 50 फीसदी तक कमा कर सकेगी। इसके लिए सड़क पर नीले रंग की एक मिमी मोटी परत चढ़ाई गई है। 

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नीली सड़कों को बनाने का उद्देश्य तापमान को नियंत्रित करना है। पारंपरिक डामर की सड़कों की तुलना में नीली कोटिंग वाली सड़कों के तापमान में कितना फर्क है, यह जानने के लिए सेंसर भी लगाए गए हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि प्रयोग के तौर पर की गई कोटिंग सूर्य की रेडिएशन में 50% तक की कमी दर्ज की जा सकेगी। कतर की प्रमुख सार्वजनिक कंपनी को असहघल को इस प्रॉजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है। कतर की सार्वजनिक कंपनी के साथ ही इसमें प्रमुख सहयोगी जापान भी है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर कंपनियों की ओर से प्रभाव को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है। कतर को 2022 फीफा वर्ल्ड कप आयोजन की मेजबानी भी करनी है।

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तेल संपदा से भरपूर इस छोटे देश में फीफा वर्ल्ड कप मेजबानी को लेकर काफी उत्साह है और वह तेजी से अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स पूरा करने में जुटा है। अब सवाल ये है कि अगर कतर का ये प्रयोग सफल होता है, तो क्या भारत में भी इस तकनीक को लागू किया जाना चाहिए? क्या भारत में इसके लिए पायटल प्रोजेक्ट चलाया जा सकता है? अगर भारत भी इस तकनीक को अपनाता है तो ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने के लिए यह देश के लिए कारगार तीरका साबित हो सकता है।  

 

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