रोहिंग्या मुस्लमान: क्या आपका दिल टूटेगा आप नहीं रोएंगे?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Sep, 2017 07:14 PM

rohingya muslim heart break

सैयदुल्ला बशर अपना देश छोडऩे के लिए बाध्य हो गए और जिस देश में वह रह रहे हैं वहां से उनको निर्वासित किए जाने...

हैदराबाद: सैयदुल्ला बशर अपना देश छोडऩे के लिए बाध्य हो गए और जिस देश में वह रह रहे हैं वहां से उनको निर्वासित किए जाने का खतरा है, लेकिन बशर को विश्वास है कि कभी न कभी उनके और रोहिंग्या मुसलमानों के साथ न्याय होगा। वहीं अब्दुल करीम का कहना है कि हम भी अपने देश वापस लौटना चाहते हैं। अगर दुनिया हमारा समर्थन करती है तो हमें विश्वास है कि हम लौट जाएंगे। क्या आपको देश छोडऩे के लिए बाध्य किया जाएगा तो क्या आपका दिल नहीं टूटेगा और आप नहीं रोएंगे। 
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अपने देश वापिस लौटना चाहते हैं बशर
रोहिंग्या प्रवासी शिविर में अस्थायी झोपड़ी उनके और उनके परिवार का घर है। दो बच्चों के 27 वर्षीय पिता बशर ने बताया कि हम यहां गड़बड़ी फैलाने नहीं आए हैं। कृपया हमसे आतंकवादियों की तरह व्यवहार मत कीजिए। कोई भी शरणार्थी नहीं बनना चाहता। हमें म्यांमा से इसलिए भागना पड़ा क्योंकि सरकार वहां नरसंहार कर रही है। स्थिति सामान्य होते ही हम अपने देश वापस लौट जाना चाहते हैं। बशर म्यांमा में पत्थर का व्यवसाय करते थे और अब यहां मजदूरी करते हैं। बशर उन हजारों रोहिंग्या मुसलमानों में शामिल हैं जो समुदाय के लिए उत्पन्न मानवीय संकट के बीच भारत में रह रहे हैं। सरकार का अनुमान है कि देश के विभिन्न स्थानों पर 14 हजार रोहिंग्या रह रहे हैं वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक यह संख्या करीब 40 हजार है।  
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केंद्र के फैसले बढ़ाई मुश्किलें
हैदराबाद में करीब साढ़े तीन हजार से चार हजार रोहिंग्या शिविरों में रह रहे हैं। करीब 3500 लोग संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग में पंजीकृत हैं। उनमें से कुछ 2012 में आए जब उनके देश में हिंसा भड़क उठी थी। उनकी समस्या तब और बढ़ गई जब सरकार ने इस हफ्ते उच्चतम न्यायालय को बताया कि रोहिंग्या मुसलमान अवैध प्रवासी हैं और उनका लगातार यहां रहना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी आज कहा कि वे शरणार्थी नहीं हैं जिन्होंने यहां आश्रय मांगा है बल्कि अवैध प्रवासी हैं जिन्हें निर्वासित किया जाएगा। PunjabKesari

स्थानीय होटल में काम करने वाले 20 वर्षीय युवक ने कहा, च्च्हम गरीब लोग हैं। हमें जो भी काम मिलेगा, हम कर लेंगे। म्यांमा में हिंसा के कारण हमारे परिवार के कुछ सदस्य और रिश्तेदार हमारे साथ नहीं हैं। कुछ बांग्लादेश भाग गए, कुछ इंडोनेशिया चले गए, कुछ श्रीलंका, मलेशिया, सऊदी अरब और कुछ दुबई चले गए।

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