Edited By shukdev,Updated: 21 Jan, 2020 05:54 PM
अवैध सॉफ्टवेयर के माध्यम से तत्काल श्रेणी के रेलटिकटों की कालाबाज़ारी करने के वालों के खिलाफ अभियान में रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) के हाथ अंतरराष्ट्रीय अपराधियों का एक ऐसा गिरोह लगा है जो क्रिप्टो करंसी एवं हवाला के माध्यम से पैसा विदेश भेज कर उसका...
नई दिल्ली: अवैध सॉफ्टवेयर के माध्यम से तत्काल श्रेणी के रेलटिकटों की कालाबाज़ारी करने के वालों के खिलाफ अभियान में रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) के हाथ अंतरराष्ट्रीय अपराधियों का एक ऐसा गिरोह लगा है जो क्रिप्टो करंसी एवं हवाला के माध्यम से पैसा विदेश भेज कर उसका इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए करता है। आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने रेल भवन में इस गिरोह का खुलासा किया। इस गिरोह में 20 हजार से अधिक एजेंटों वाले 200 से 300 पैनल देश भर में सक्रिय हैं और उसका सरगना हामिद अशरफ दुबई में बैठा है।
यह गिरोह पाकिस्तान के प्रतिबंधित संगठन तब्लीगी जमात से जुड़ा है। इसमें बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर कंपनी भी साझीदार है और एक उच्च तकनीकविद् इस गिरोह को सक्रिय मदद देता है। कुमार ने बताया कि टिकटों की कालाबाज़ारी करने वाले एक गिरोह के एक प्रमुख सदस्य गुलाम मुस्तफा को इसी माह भुवनेश्वर से पकड़ा गया और उससे पूछताछ में इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि इस गिरोह के पास फर्जी आधार कार्ड एवं फर्जी पैन कार्ड बनाने की तकनीक है और बांग्लादेश से लोगों को अवैध रूप से लाने एवं यहां बसाने का काम भी कर रहा था।
इस प्रकार से इस मामले की संवेदनशीलता बढ़ गई है और आंतरिक सुरक्षा के लिये गंभीर खतरे वाली बात है। इसलिए इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), गुप्तचर ब्यूरो (आईबी), प्रवर्तन निदेशालय, कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच इकाई आदि एजेंसियां भी जुड़ गई हैं।