RPF के डेटा से खुलासा, 18 दिनों में 80 प्रवासी मजदूरों की ट्रेन में हुई मौत

Edited By Yaspal,Updated: 30 May, 2020 05:33 PM

rpf report reviewed 80 migrant laborers died in train in 18 days

देश में लॉकडाउन के बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के आंकड़ों की समीक्षा कर बताया कि 9 मई से 27 मई से बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में लगभग 80...

नई दिल्लीः देश में लॉकडाउन के बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के आंकड़ों की समीक्षा कर बताया कि 9 मई से 27 मई से बीच श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में लगभग 80 मौतें हुई हैं। बता दें कि प्रवासी मजदूरों को उनके गृह नगर पहुंचाने के लिए रेलवे ने एक मई को ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेन लॉन्च की और 27 मई तक 3,840 ट्रेनों का संचालन किया।

इस बीच लगभग पचास लाख प्रवासियों को उनके गृह नगर पहुंचाया गया। बुधवार को इन ट्रेनों में पिछले कुछ दिनों के भीतर 9 लोगों की मौत की सूचना थी। मगर रेल मंत्रालय ने तुरंत स्पष्ट कर दिया कि मृतकों में अधिकांश किसी पुरानी बीमरी के मरीज थे। इनमें से कई लोग इलाज के लिए शहरों में थे और स्पेशल ट्रेन शुरू होने के बाद ही वापस लौट सकते थे। दरअस मंत्रालय ने उन खबरों के बाद ये बयान जारी किया जिनमें दावा किया गया कि यात्रियों की मौत थकावट, गर्मी और भूख की वजह से हुई थी।

ये पहली बार है जब आरपीएफ के एक अधिकारी ने इन संख्याओं की पुष्टि की और कहा कि शुरुआती लिस्ट बनाई गई है। हालांकि राज्यों के साथ समन्वय के बाद जल्द ही एक फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी। रेल मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने 80 मौतों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सवाल का जवाब दिया है।

दरअसल शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि किसी की भी मौत होना एक बड़ा नुकसान है। भारतीय रेलवे के पास एक कंट्रोल सिस्टम है। इससे अगर किसी व्यक्ति के बीमार होने का पता चलता है तो उसे ट्रेन में चढ़ने से तुरंत रोक दिया जाता है। ऐसे लोगों के इलाज के लिए उन्हें निकटतम अस्पताल में भेज दिया जाता है। हालांकि कुछ लोगों ने फिर भी यात्रा की और कुछ की डिलीवरी भी हुई।

वीके यादव ने कहा कि मैं इन परिस्थितियों में भी यात्रा करने वाले मजदूरों की दुर्दशा की कल्पना कर सकता हूं। मौतों के मामले में, लोकल जोन कारण की जांच करते हैं। जांच के बिना ऐसे आरोप लगे हैं कि भोजन की कमी होने पर वो भूख से मर गए जबकि भोजन की कोई कमी नहीं थी। हालांकि कुछ मौतें हुईं और हम आंकड़े इकट्ठा कर रहे हैं। हम कुछ दिनों में आंकड़े जारी करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रेलवे चेयरमैन में मृतकों की संख्या नहीं बताई। ऐसे में सुनिश्चित करने के लिए RPF डेटा को मंत्रालय द्वारा निरक्षण और मान्य किए जाने का इंतजार करने चाहिए।

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