Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Jun, 2019 04:30 PM
पार में गलत बिलिंग या चालान की वजह से भारत को 13 अरब डॉलर या करीब 90,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
नई दिल्लीः व्यापार में गलत बिलिंग या चालान की वजह से भारत को 13 अरब डॉलर या करीब 90,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यह 2016 में देश के कुल राजस्व संग्रहण का 5.5 प्रतिशत बैठता है। जीएफआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में संभावित राजस्व नुकसान के जोखिम वाले आयात का दो-तिहाई आयात सिर्फ एक देश चीन से हुआ था। उस वर्ष चीन भारतीय आयात का सबसे प्रमुख स्रोत था। ‘भारत: व्यापार में गलत चालान की वजह से होने वाला संभावित राजस्व नुकसान' शीर्षक वाली रिपोर्ट में 2016 के द्विपक्षीय व्यापार आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
हाल के बरसों में इसी वर्ष उल्लेखनीय आंकड़े उपलब्ध हैं। इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र (कॉमट्रेड) ने प्रकाशित किया है। रिपोर्ट कहती है कि व्यापार में गलत बिल-चालान से देश के प्रत्येक दूसरा देश प्रभावित है। दूसरे देश से आने वाले आयात को बाहर पैसा भेजने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा सकता है या फिर सीमा शुल्क या मूल्यवर्धित कर (वैट) बचाने के लिए इसे कम कर दिखाया जा सकता है। इसी तरह दूसरे देश को किए जाने वाले निर्यात को कम कर दिखाकर पैसा बाहर भेजा सकता है या उसे अधिक दिखाकर वैट कर का दावा किया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए चाहे जो भी तरीका इस्तेमाल किया जाए उसका अंतिम नतीजा यही होता है कि भारी मात्रा में कर राजस्व का संग्रहण नहीं हो पाता। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को सभी सरकारों को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की मनी लांड्रिंग रोधक सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने को प्रोत्साहित करना चाहिए। यह कानून पहले से है इसे कड़ाई से लागू किए जाने की जरूरत है।