RSS ने BJP को चेताया, विपक्षी एकता का तोड़ न निकाला तो होगा भारी नुक्सान

Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Jun, 2018 09:37 AM

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हाल में हुई आर.एस.एस.-भाजपा की बैठक में संघ ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजाई है। विपक्ष की एकता, भाजपा कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी और सांसदों के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल इसके कारण बताए गए हैं। संघ की रिपोर्ट के बाद भाजपा अपनी रणनीति में परिवर्तन...

नई दिल्ली: हाल में हुई आर.एस.एस.-भाजपा की बैठक में संघ ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजाई है। विपक्ष की एकता, भाजपा कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी और सांसदों के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल इसके कारण बताए गए हैं। संघ की रिपोर्ट के बाद भाजपा अपनी रणनीति में परिवर्तन करेगी। अगले चुनाव में आधे से अधिक सांसदों के टिकट कटने की आशंका है। भाजपा ने अगले आम चुनाव में 350 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस उद्देश्य से 122 उन सीटों के लिए 24 नेताओं की एक टीम तैयारी की है जहां पार्टी कभी भी नहीं जीती है। पश्चिम बंगाल के लिए 3 नेताओं, केरल में 2, आंध्र में 2 नेताओं को झोंका गया है। इन नेताओं के कामकाज की निगरानी स्वयं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह करेंगे।
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पार्टी पिछले चुनाव में 282 सीटें जीत चुकी है और 150 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। इन सभी सीटों पर पार्टी का फोकस अलग है। इन सीटों के लिए अलग-अलग टीमें कार्य कर रही हैं। सबसे बड़ी चुनौती 122 सीटों पर है जहां भाजपा कभी जीती ही नहीं। इसी महीने सूरजकुंड में हुई आर.एस.एस. की कोर कमेटी और भाजपा के संगठन मंत्रियों की बैठक में भाजपा के सत्ता में 4 साल होने की समीक्षा की गई। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोर कमेटी के सदस्यों को अपने सरकारी आवास पर डिनर दिया था। बैठक में चर्चा हुई कि भाजपा कार्यकर्त्ताओं में नाराजगी है और सांसदों के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल है। विपक्ष की एकता पार्टी का नुक्सान करेगी। इसका तोड़ नहीं निकाला गया तो पार्टी को भारी नुक्सान होगा।
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उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन का प्रयोग जारी रहा तो कम से कम 35 सीटें सीधे भाजपा की झोली से निकल जाएंगी। इसका विकल्प तलाशने को कहा गया है। संघ की तरफ से दिखाए गए आइने के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पूरे देश का भ्रमण कर चुनाव तैयारियों को जायजा लेने का फैसला किया है। उन्होंने 1-1 सीट पर 3-3 प्रभारी बनाने को कहा है। वर्तमान सांसदों में से कम से कम आधों के टिकट काटने का नमूना मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में देखने को मिलेगा। इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव में वर्तमान विधायकों में से कम से कम 30-35 फीसदी का पार्टी टिकट काटेगी।

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