Edited By Yaspal,Updated: 23 Nov, 2018 07:22 PM
जम्मू-कश्मीर पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी थी। राज्यपाल के इस कदम से सियासी गलियारे में
नेशनल डेस्कः जम्मू-कश्मीर पीडीपी-नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी थी। राज्यपाल के इस कदम से सियासी गलियारे में बयानबाजी का दौर चल पड़ा है। पीपुल कॉन्फ्रेंस के मुखिया सज्जाद गनी लोन ने पीडीपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर पीडीपी इती ही परेशान है, तो उसे कोर्ट जाना चाहिए। लेकिन वह ऐसा नहीं करेगी। क्योंकि उसके पास संख्या नहीं है।
लोन ने कहा कि हमने सरकार बनाना का दावा इसलिए पेश किया था, क्योंकि हमारे पास संख्या थी। फ्लोर टेस्ट हमारे ही हक में होता है। ऐसे में फिर वही होता, जो संविधान के हिसाब से सही होता। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी के साथ गठबंधन करना अपराध है, तो सहसे पहले यह अपराध उमर अबदुल्ला ने किया है। एक समय तो ऐसा था, जब अब्दुल्ला एनडीए के पोस्टर ब्वॉय थे। महबूबा मुफ्ती भी तीन साल से सत्ता में थी। लेकिन जब यह हम कर रहे हैं तो गलत हो गया।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी ने बीजेपी और अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। लेकिन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी, जिससे जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होना तय हो गया था। मौजूदा विधानसभा में सज्जाद गनी की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के पास सिर्फ दो विधायक थे।
राज्यापल सत्यपाल मलिक द्वारा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग करने के फैसले पर सियासी बवाल जारी है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा क्या पेश किया। कुछ ही देर बाद राज्यपाल ने विधानसभा को भंग करने का ऐलान कर दिया। इसके सात ही राज्यपाल ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत ही उन्होंने यह कार्रवाई की है।