Edited By Monika Jamwal,Updated: 22 Nov, 2018 06:14 PM
सियासत में 24 घंटे का वक्त भी बहुत लंबा होता है। इसकी बानगी जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग किए जाने के फैसले से समझी जा सकती है।
श्रीनगर : सियासत में 24 घंटे का वक्त भी बहुत लंबा होता है। इसकी बानगी जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग किए जाने के फैसले से समझी जा सकती है। एक दिन पहले तक जम्मू-कश्मीर की दो विपक्षी पार्टियां पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रही थीं, इसलिए 24 घंटे के भीतर ही कांग्रेस के साथ मिलकर इन दोनों दलों ने राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। इसके दूसरी तरफ 87 सदस्यीय विधानसभा में से महज 2 सीटों वाले पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी व्हाट्स एप के जरिये भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
दरअसल जम्मू-कश्मीर में जब ये सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला उस वक्त सज्जाद लोन लंदन से दिल्ली की एक उड़ान में थे। इसी दौरान उन्होंने राज्यपाल को व्हाट्सएप के जरिए संदेश भेजा जिसमें उन्होंने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया। लोन ने दावा किया था कि वह उनके नेतृत्व में सरकार बनाये जाने का समर्थन कर रहे भाजपा विधायकों और अन्य सदस्यों के समर्थन का पत्र जब वह (राज्यपाल) कहेंगे तब उन्हें सौंप देंगे। हालांकि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया और साथ ही कहा कि प्रदेश के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है।
कौन हैं सज्जाद लोन
ऐसे में सवाल उठता है कि महज दो विधायकों की पार्टी वाले पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद कौन हैं जिन्होंने भाजपा के दम पर सरकार बनाने की दावा पेश किया।
सज्जाद गनी लोन कश्मीर में हंदवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन हैं। वह अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन के सबसे छोटे पुत्र हैं। अब्दुल गनी लोन की 2002 में एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई थी। उनकी मौत के बाद सज्जाद लोन सियासत में आए। 2009 के आम चुनाव में बारामूला से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे लेकिन हार गए, उनको उस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंय के प्रत्याशी शरीफुद्दीन शारिक ने हरा दिया।
सज्जाद लोन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थक माना जाता है।
मोदी के समर्थक है लोन
2014 के विधानसभा चुनाव में इस कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उनकी आलोचना भी की थी। हालांकि उस चुनाव में उत्तरी कश्मीर की हंदवाड़ा सीट से वह पांच हजार से अधिक मतों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। उस चुनाव में उनकी पार्टी के दो प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी बने। कहा जाता है कि पी.डी.पी. उनको मंत्री नहीं बनाना चाहती थी लेकिन भाजपा के दबाव में उनको मंत्री बनाया गया। सज्जाद लोन को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पीडीपी-भाजपा सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले राम माधव का भी करीबी माना जाता है।
सीएम पद के उम्मीदवार हो सकते थे लोन
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक इस साल जून में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद राजनीतिक गलियारे में कयास लगा, जाते रहे कि सज्जाद लोन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश कर भाजपा, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिशों में हैं। इस कारण कश्मीर की सियासत में सज्जाद लोन केंद्र के समर्थन से एक तीसरी ताकत के रूप में उभरे हैं। उनकी बढ़ती ताकत का अंदाजा इसी बात से समझा जा सकता है कि सूबे की सियासत में इस नाटकीय घटनाक्रम के महज 24 घंटे पहले पीडीपी के दिग्गज नेता मुजफ्फर हुसैन बेग ने पार्टी से बागी तेवर अख्तियार करते हुए सज्जाद लोन को समर्थन देने का संकेत दिया था।