कोरोना योद्धाओं को सलाम: 14 घंटे काम और रोजाना 90 किलोमीटर का सफर...ऐसे काम कर रहे डॉक्टर

Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Apr, 2020 11:46 AM

salute to the corona warriors

जानलेवा कोरोना वायरस के बीच देश के डॉक्टर, पारामेडिकल स्टाफ, नर्सें सभी संंक्रमित मरीजों की दिन-रात सेवा में लगे हुए हैं। बिना हिम्मत हारे सभी अपनी-अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। डॉ माधव भी उन्हीं कोरोना योद्धाओं में से एक हैं जो संकट की घड़ी में डट कर...

नेशनल डेस्कः जानलेवा कोरोना वायरस के बीच देश के डॉक्टर, पारामेडिकल स्टाफ, नर्सें सभी संंक्रमित मरीजों की दिन-रात सेवा में लगे हुए हैं। बिना हिम्मत हारे सभी अपनी-अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। डॉ माधव भी उन्हीं कोरोना योद्धाओं में से एक हैं जो संकट की घड़ी में डट कर खड़े हैं और अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। द्वारका के रहने वाले डॉ माधव ने बताया कि 13 मार्च को आदेश जारी होने के बाद Covid-19 के इलाज के लिए डॉक्टरों व पारामेडिकल स्टाफ की पहली बेंच तैयार हुई। डॉ माधव की टीम को राजीव गांधी अस्पताल में तैनात किया गया। डॉ माधव को अस्पताल आने-जाने के लिए रोज 90 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था। 14 घंटे की ड्यूटी के बाद वह गाड़ी चलाकर घर जाते थे लेकिन परिवार से दूर वे कुद को एक कमरे में बंद कर लेते थे। काफी लंबे घंटे तक काम करने की वजह से उनकी तबीयत भी खराब हो गई। 

 

मन में तसल्ली देश के काम आ रहे हैं
वहीं डॉ माधव की ही टीम के सदस्य डॉ. संजय ने बताया कि ड्यूटी के बाद घर जाने से पहले सभी अस्पताल के बाथरूम में नहाते थे और फिर ड्यूटी वाले कपड़े पहने जाते थे। इसके बाद घर लौटने पर फिर नहाते थे और खुद को परिवार से अलग एक कमरे मेंं बंद कर लेते थे। डॉ संजय ने कहा कि इन कठिनाइयों के बावजूद भी मन में एक संतोष होता है कि हम देश और अपने देशवासियों के लिए कुछ कर रहे हैं। 

 

बेटी को रोता देखते रहे
डॉ. विपुल अपने परिवार के साथ रोहिणी में रहते हैं। विपुल की पत्नी भी डॉक्टर हैं। डॉ. विपुल ने बताया कि जब उनकी कोरोना पर ड्यूटी लगाई गई तो उनके घर बेटी हुई थी जो सिर्प 30 दिन की थी। विपुल ने कहा कि ड्यूटी से घर आने पर कई बार पत्नी खाना बना रही होती है तो बच्ची कबी-कभी सो कर उठते ही रोने लग जाती है लेकिन मैं सिर्प अपनी बच्ची को रोता देखता रहता हूं उसे छू नहीं पाता, उठा नहीं पाता ताकि उसे कुछ न हो। डॉ. विपुल ने कहा मैं अभी तक बच्ची को छूने से डरता हूं। बता दें कि डॉक्टर, नर्से और अन्य मैडीकल स्टॉफ अपनी जान की परवाह किए बिना डटे हुए हैंं। वहीं पुलिस भी सड़कों पर चिलचिलाती धूप में इसलिए डटी हुई है ताकि लोग अपने घरोंं में सुरक्षित रहें। पुलिस वालों का कहना है कि हम लोगों को डराकर-धमकाकर उनको घरों में भेजना पंसद करेंगे लेकिन कंधों पर श्मशान ले जाना नहीं। इन कोरोना योद्धाओं के अपने भी परिवार हैं लेकिन देश को कुछ न हो इसलिए डटे हुए हैं, इनका जितना सम्मान और धन्यवाद किया जाए कम है।

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