Edited By Yaspal,Updated: 10 Feb, 2020 07:35 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि देश में शिक्षा की गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता किए बिना संस्कृत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। जोशी ने दोना पावला में एक...
पणजीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि देश में शिक्षा की गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता किए बिना संस्कृत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। जोशी ने दोना पावला में एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र को शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक प्रयोग करने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘संस्कृत प्रत्येक स्कूल में पढ़ाई जानी चाहिए। सरकार को इसके बारे में गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। हमारा मानना है कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और यदि आपको भारत को समझना है तो संस्कृत के बिना आप यह नहीं कर सकते। इसीलिए कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता किए बिना संस्कृत को उसका स्थान दिलाया जाना चाहिए।''
गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर बल देते हुए जोशी ने कहा, ‘‘हम आज के समय में आश्रम जैसी व्यवस्था के बारे में नहीं सोच सकते लेकिन जब हम गुरुकुल व्यवस्था की बात करते हैं तब शिक्षा संस्थान की प्राथमिकता होती है।'' उन्होंने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय की बजाय मिशन के रूप में लेकर चलने वाले संस्थान होना समय की मांग है।
जोशी ने कहा कि देश ने ब्रिटिशकालीन शिक्षा पद्धति अपना ली थी जिसमें सभी शैक्षणिक संस्थानों को सरकार द्वारा निर्धारित नीतियों का पालन करना होता है लेकिन आवश्यकता इसकी है कि सरकार शैक्षणिक नीतियों में बदलाव की अनुमति प्रदान करे। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ संस्थान हैं जिन्होंने अपनी नीतियां अपनाई हैं और उन्हें सफलतापूर्वक लागू किया है। मुझे लगता है कि जिन्होंने शैक्षणिक व्यवस्था में सकारात्मक प्रयोग किए हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए।''
मारन के संस्कृत के लिए हुए खर्चे का सवाल उठाने पर हंगामा
डीएमके नेता दयानिधि मारन के संस्कृत पर किए गए खर्च पर सवाल उठाने पर लोकसभा में सोमवार को हंगामा हो गया। मारन ने संस्कृत की उपयोगिता पर भी सवाल उठाया था। इस पर भाजपा सांसदों ने कहा, मारन को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए। वहीं आसन पर मौजूद भाजपा सांसद रमा देवी ने मारन के बयान को रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया।
बजट पर बहस के दौरान मारन ने कहा, संस्कृत को लेकर करोड़ों रुपये खर्च किए गए लेकिन सरकार ने तमिल के लिए क्या किया। इस दौरान मारन ने संस्कृत के लिए विवादित टिप्पणी भी की जिसका वित्त राज्यमंत्री अनुरागठ ठाकुर ने विरोध किया।
ठाकुर ने कहा, सदस्य बजट या वित्त मंत्री की आलोचना कर सकते हैं लेकिन संस्कृत के लिए इस तरह के बयान देने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और संस्कृत को लेकर की गई टिप्पणी निंदनीय है।