Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Dec, 2022 11:10 AM
गुजरात में भाजपा बेशक 150+ का दावा कर रही थी, लेकिन पार्टी की कई ऐसी सीटें थीं, जहां पर रणनीति बनाना बेहद जरूरी था, क्योंकि ये सीटें बेहद महत्वपूर्ण थीं।
अहमदाबाद: गुजरात में भाजपा बेशक 150+ का दावा कर रही थी, लेकिन पार्टी की कई ऐसी सीटें थीं, जहां पर रणनीति बनाना बेहद जरूरी था, क्योंकि ये सीटें बेहद महत्वपूर्ण थीं। इनमें प्रधानमंत्री मोदी के गांव वडनगर तथा गृह मंत्री अमित शाह के गांव मनसा से लगातार कांग्रेस जीत रही थी। इस बार इन दोनों सीटों तथा ऐसी कुछ और सीटों को लेकर खुद अमित शाह ने रणनीति तैयार की थी, जिसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अहम भूमिका निभाई थी।
वडनगर के लिए रणनीति
ऊंझा विधानसभा सीट के वडनगर इलाके में आती इस विधानसभा सीट पर इस बार गहरी रणनीति के साथ काम किया गया। यहां पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के करीबी केशव लाल पटेल को टिकट दिया, जिसके चलते भाजपा में इस सीट पर चल रहा गतिरोध खत्म हो गया और खास बात यह रही कि संघ के स्वयं सेवकों ने भी जमकर इस सीट पर काम किया और केशव लाल पटेल सफल रहे। इस सीट पर पाटीदार समाज के लोगों की अच्छी आबादी है और वह कांग्रेस को वोट नहीं करते, लेकिन इसके बावजूद 2017 में यह सीट भाजपा हार गई। इस सीट पर ब्राह्मण, बनिया तथा प्रजापति समाज कांग्रेस को वोट देता रहा है, लेकिन इस रणनीति ने भाजपा को सफलता दी।
मनसा पर शाह की रणनीति
मनसा सीट पर पिछले दो चुनावों से लगातार कांग्रेस जीत रही थी। इस सीट पर जयंती लाल पटेल को भाजपा ने मैदान में उतारा। इस सीट पर भी पाटीदार समाज की संख्या काफी अधिक है, उनके साथ राजपूत और चौधरी समाज का भी वोट बैंक बढ़ा है। इस सीट पर ब्राह्मण और बनिया वोट काफी कम है। पाटीदार आंदोलन की आड़ में कांग्रेस को यहां सफलता मिलती रही, लेकिन इस बार भाजपा ने रुख बदल दिया।