...भूले सरदार का सबसे ‘खास वादा’

Edited By Anil dev,Updated: 29 Nov, 2018 12:11 PM

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देश जब आजाद हुआ तो यहां की रियासतों को मिलाकर एक करने का जिम्मा उठाया सरदार पटेल ने। उन्होंने राजस्थान की कई बड़ी रियासतों को मिलाते हुए तत्कालीन राजपरिवारों से यह वादा किया था कि उनके क्षेत्र को विशेष महत्व दिया जाएगा।

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): देश जब आजाद हुआ तो यहां की रियासतों को मिलाकर एक करने का जिम्मा उठाया सरदार पटेल ने। उन्होंने राजस्थान की कई बड़ी रियासतों को मिलाते हुए तत्कालीन राजपरिवारों से यह वादा किया था कि उनके क्षेत्र को विशेष महत्व दिया जाएगा। उसी दौरान बीकानेर राजघराने को यह आश्वासन दिया गया था कि बीकानेर को प्रदेश की शिक्षा का मुख्यालय बनाया जाएगा। शुरुआत में सरकारों ने यह वादा पूरा भी किया लेकिन फिर धीरे धीरे पटेल के साथ साथ स्थानीय जनता से वादाखिलाफी का दौर शुरू हो गया। अब आलम ये है कि पटेल के उस वादे से हर सरकार ने मुंह मोड़ लिया।

धीरे धीरे बदल गई तस्वीर
गुजरात में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का स्वरूप पाने वाले सरदार पटेल के वादे को भाजपा सरकार ने कुछ महीने पहले ही रसातल में पहुंचा दिया। पटेल के वादे के अनुरूप बीकानेर में स्थापित हुए शिक्षा के मुख्यालय को धीरे धीरे कमजोर किया जाता रहा। कांग्रेस के लंबे-चौड़े शासनकाल में यह काम धीरे धीरे हुआ तो भाजपा सरकार के कार्यकाल में इसकी गति तेज हुई। आज स्थिति यह है कि प्रारम्भिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के मुख्यालय नाम मात्र के लिए यहां रह गए हैं, जबकि हकीकत में सारा काम जयपुर से होता है।

निदेशालय पर आयुक्ताालय
राज्य सरकार ने कुछ महीने पहले ही निदेशालय पर एक आयुक्तालय बना दिया। यह आयुक्तालय अब जयपुर में है और वहीं से उच्च शिक्षा की सारी गतिविधियां वहीं से संचालित होती हैं। ऐसे में बीकानेर को शिक्षा का मुख्यालय कहना अब बेमानी रह गया है।  राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का मुख्यालय पहले से ही जयपुर में है, हाल ही में इसका नाम बदला गया है।

यह विभाग पहले ही जा चुके
सरदार पटेल से हुए वादे के मुताबिक जब बीकानेर में शिक्षा का मुख्यालय बना तब उच्च शिक्षा का निदेशालय भी बीकानेर में होता था। बाद में इसे यहां से हटा दिया गया। इतना ही नहीं संस्कृत शिक्षा का मुख्यालय भी बीकानेर में था, इसे भी जयपुर स्थानान्तरित किया गया।  

राजपरिवार ने दी थी अपनी संपत्ति
जानकारी के अनुसार बीकानेर को शिक्षा का मुख्यालय बनाने के लिए ही राजपरिवार ने अपने एक भवन को सरकार को महज एक रुपए के किराए पर दिया था। आज भी इसी परिसर में शिक्षा निदेशालय संचालित हो रहा है, लेकिन इसके पीछे की मूल भावना अब खत्म हो चुकी है। प्रदेश के अन्य उप निदेशक कार्यालयों की तरह शिक्षा निदेशालय भी शिक्षा आयुक्तालय का एक हिस्सा मात्र रह गया है, जो जयपुर से संचालित होता है।

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