Edited By Yaspal,Updated: 10 Feb, 2021 10:50 AM
उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही हर तरफ ‘गंभीर निशान’ छोड़ गई है। इस तबाही में अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 170 लोग अभी लापता हैं। पहले और बाद की तस्वीरों में हिमस्खलन की भयावहता को साफतौर पर देखा...
नेशनल डेस्कः उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही हर तरफ ‘गंभीर निशान’ छोड़ गई है। इस तबाही में अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 170 लोग अभी लापता हैं। पहले और बाद की तस्वीरों में हिमस्खलन की भयावहता को साफतौर पर देखा जा सकता है। 6 फरवरी की एक फोटो में बर्फ से ढंकी त्रिशाला ग्लेशियर के हिस्से को देखा जा सकता है लेकिन हिमस्खलन के बाद, 8 फरवरी को बर्फ का एक पूरा हिस्सा गायब है।
इसी तरह के बदलाव हिमस्खलन की उत्पत्ति के स्थान से कुछ किलोमीटर दूर भी देखे जा सकता है। यह क्षेत्र बर्फ से ढंका हुआ था लेकिन हिमस्खलन के बाद इसके असर को साफ तौर पर देखा जा सकता है। त्रासदी के दिन बर्फ का बड़ा हिस्सा गायब हो गया था। पूरे तरह से तबाह हुए तपोवल हाइडल प्लांट के नजदीक की नदी का पानी 6 फरवरी को हरे रंग का था लेकिन 8 फरवरी को यह ब्राउन कलर के कीचड़ से भर गया था। पूरे क्षेत्र के लांग शॉट से हुई तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है।
6 फरवरी को हिमस्खलन के एक दिन पहले, तपोवन हाइडल प्लांट को देखा जा सकता था, इसके बाद हिमस्खलन ने सब कुछ अस्तव्यस्त कर दिया और इसके कारण जमीन धंसकने की तस्वीरों में देखा जा सकता है.।8 फरवरी को जब धूल साफ हुई तो हर तरह मलबा बिखरा हुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि वैली के धरातल को हिट करने से पहले चट्टान और बर्फ करीब दो किमी की ऊंचाई से गिरी है, इसके कारण पत्थर और बर्फ का तूफान की स्थिति निर्मित हुई।