Edited By Tanuja,Updated: 12 Aug, 2020 03:50 PM
कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ ओआईसी को धमका कर पाकिस्तान खुद अपने ही जाल में बुरी तरह फंस गया है। आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआइसी) को तोड़ने की धमकी देना पाकिस्तान को इतना महंगा पड़ गया ...
इस्लामाबादः कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ OIC को धमका कर पाकिस्तान खुद अपने ही जाल में बुरी तरह फंस गया है। आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (OIC) को तोड़ने की धमकी देना पाकिस्तान को इतना महंगा पड़ गया है कि इमरान सरकार अब अपने ही बयान पर पछता रही है। भारत के खिलाफ धमकाने का करारा जवाब देते हुए सऊदी अरब ने पाकिस्तान को उधार में तेल देना बंद कर दिया है। पाकिस्तान अब गिड़गिड़ा रहा है लेकिन सऊदी अरब अब कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। बता दें कि आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान ने दिवालिया होने से बचने के लिए साल 2018 में सऊदी अरब से 6.2 (करीब 46 हजार करोड़ रुपए) अरब डॉलर का कर्ज लिया था।
कर्ज पैकेज के तहत पाकिस्तान को 3.2 अरब डॉलर (करीब 24 हजार करोड़ रुपए) का तेल उधार में देने का प्रावधान किया गया था। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इस प्रावधान की मियाद दो महीने पहले ही खत्म हो चुकी है। इसका अब तक नवीनीकरण नहीं हुआ है। पाकिस्तान ने नाराजगी में चीन से उधार लेकर सऊदी अरब से लिए कर्ज में से एक अरब डॉलर (करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपए) की किस्त समय से चार महीने पहले ही चुका दी है लेकिन बाकी कर्ज चुकाने के लिए भी वह चीन का मुंह ताक रहा है। दरअसल, पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक टीवी कार्यक्रम में सऊदी अरब को धमकी दे डाली थी शाह ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर OIC के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक नहीं बुलाई तो पाकिस्तान खुद यह बैठक बुला सकता है।
उन्होंने कहा, 'अगर सऊदी अरब बैठक नहीं बुलाता है तो प्रधानमंत्री इमरान खान से यह आग्रह करने के लिए विवश हो जाऊंगा कि वे खुद उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं, जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारा साथ देने के लिए तैयार हैं।' पाकिस्तान को सऊदी अरब से उधार पर कच्चा तेल मई से नहीं मिला है। साथ ही उसे आपूर्तिकर्ता की ओर से इस सुविधा को जारी रखने के बारे में अभी कोई जवाब भी नहीं मिला है। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जबकि पाक का अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) कार्यक्रम भी पिछले पांच माह से तकनीकी तौर पर स्थगित है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी ऋण को वापस करने तथा तेल सुविधा की मियाद समाप्त होने से केंद्रीय बैंक के आधिकारिक मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ सकता है । यह भंडार शुद्ध रूप से कर्ज लेकर बनाया गया है।