Sawan Shivratri: भाग्य परिवर्तन करने के लिए आज का दिन है खास, करना न भूलें ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jul, 2019 07:10 AM

sawan shivratri and mangala gauri vrat

व्रत-अनुष्ठानों का महीना श्रावण मास भगवान शिव के भक्तों को समर्पित माह है। इस माह में अनेक व्रत, धार्मिक क्रियाएं और अनुष्ठान किए जाते हैं। इसलिए जैसे ही श्रावण मास आता है, अनेक व्रत एक साथ आ जाते हैं।

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व्रत-अनुष्ठानों का महीना श्रावण मास भगवान शिव के भक्तों को समर्पित माह है। इस माह में अनेक व्रत, धार्मिक क्रियाएं और अनुष्ठान किए जाते हैं। इसलिए जैसे ही श्रावण मास आता है, अनेक व्रत एक साथ आ जाते हैं। वेदों के अनुसार व्रत और अनुष्ठान का पालन करना सहज, सरल न होने के कारण इनका पालन और आचरण करना आम जन के लिए कठिन है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए पुराणों में व्रत, अनुष्ठान और धार्मिक क्रियाओं को करने की सरल विधि और विधान का उल्लेख किया गया है। श्रावण मास व्रत और अनुष्ठान के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। श्रावण मास का व्रत करने के साथ-साथ आरती भी इस अवधि में नित्य करने का विशेष महत्व है। शिव भक्तों के लिए श्रावण मास पुण्य गंगा में स्नान करने के समान है। यह मास अत्यंत शुभ और पुण्य फलदायी माना गया है। देश भर के शिवालय इस मास में शिव भक्तों से भरे रहते हैं।

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आज श्रावण माह के कष्ण पक्ष का मंगलवार है। 2:49 तक त्रयोदशी तिथि रहेगी। दोपहर 12:01 से 12:54 तक अभिजित मुहूर्त रहने वाला है। व्रत और त्यौहारों की बात करें तो द्वितिया मंगलागौरी व्रत और मासिक शिवरात्रि पर्व मनाएं जाएंगे। 

मंगलागौरी व्रत भगवान शिव की अर्द्धांगिनी देवी पार्वती का आशीष प्राप्त करने के लिए कुंवारी और सुहागन महिलाओं द्वारा किया जाता है। जो मनचाहे वर और जीवन साथी की लम्बी आयु के लिए किया जाता है। इस व्रत में देव मंगल गौर का विधिपूर्वक पूजन भी किया जाता है। यह व्रत नवविवाहिता स्त्री द्वारा अवश्यक रुप से किया जाता है। इस व्रत का पालन विवाह के प्रारंभ से लेकर पांच से सात साल तक करने का विधि-विधान है। इस व्रत में गौरी के साथ देवता शिव और श्री गणपति की पूजा की जाती है।

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गौरी शंकर रुद्राक्ष से भाग्य परिवर्तन 
गौरी शंकर रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ और महत्वपूर्ण रुद्राक्ष होता है। यह देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि दो रुद्राक्षों को जोड़ा हुआ है। यह शिव और पार्वती का जोड़ा कहा जाता है। इसका महत्व एक मुखी रुद्राक्ष के समान ही माना गया है जिसके घर में गौरी शंकर रुद्राक्ष होता है वह व्यक्ति श्रेष्ठ और भाग्यशाली माना गया है।

इस रुद्राक्ष को आज अथवा सावन के किसी भी सोमवार को प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्योदय से पूर्व स्वच्छ वस्त्र पहन कर किसी लाल वस्त्र में स्थापित करें। स्थापित करने से पूर्व दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से स्नान कराकर फिर शुद्ध जल से पोंछ लें तथा केसर से तिलक लगाकर पुष्प भेंट करें, फिर निम्र मंत्र से 21 माला जप करें। 

मंत्र : ॐ ऐं लक्ष्मी श्रीं शक्ति कमलधारिणी हंस:स्वाहा:।।

इस मंत्र का प्रयोग गौरी शंकर रुद्राक्ष के सामने करना चाहिए। इसके जप के लिए रुद्राक्ष माला का ही प्रयोग करें। जब यह प्रयोग सम्पन्न हो जाए तो गौरी शंकर रुद्राक्ष को किसी लाल या काले धागे में पिरोकर गले में धारण कर लें। इस रुद्राक्ष को कभी उतारने की आवश्यकता नहीं होती। यह रुद्राक्ष कभी अशुद्ध नहीं होता। यह प्रयोग अत्यंत गोपनीय और महत्वपूर्ण है। इस प्रयोग को करने के पश्चात गौरीशंकर रुद्राक्ष के धारण करने से जातक की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहती।

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