Sawan special: आप भी रख रहे हैं पहला सोमवार व्रत, ये पढ़ना न भूलें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Jul, 2019 07:26 AM

sawan somwar vrat

आज 22 जुलाई को श्रावण कृष्ण पंचमी के दिन सावन महीने का पहला सोमवार व्रत आया है। सावन के महीने में विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग सोमवार का व्रत करते हैं व भगवान शिव

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आज 22 जुलाई को श्रावण कृष्ण पंचमी के दिन सावन महीने का पहला सोमवार व्रत आया है। सावन के महीने में विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग सोमवार का व्रत करते हैं व भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत करते हैं। सावन सोमवार के दिन कुंवारी कन्याएं मनपसंद पति पाने के लिए 16 सोमवार के व्रत भी शुरु करती हैं। जिन्होंने 16 सोमवार के व्रत करने हैं अथवा सावन मास के सोमवार का व्रत करना है तो वे आज से व्रत कर सकते हैं। 

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आज है मरुस्थलीय नागपंचमी, उठाएं लाभ
इसके साथ-साथ आज मरुस्थलीय नागपंचमी भी है। भगवान शिव और उनके गले के हार नाग देवता की पूजा करना शुभ रहेगा। यदि आपकी कुंडली में पितृदोष, कालसर्पदोष अथवा किसी भी तरह की टेंशन चल रही है तो रुद्राभिषेक करने से लाभ प्राप्त होगा। भगवान शिव कल्याणकारी देवता हैं। उनकी पूजा से सारे मनोरथ पूरे होते हैं। भारतीय वैदिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की पूजा एक नहीं अनेक तरह से करने का विधान है और उनके विभिन्न लाभ भी यजुर्वेद में बताए गए हैं। 

विधि-विधान से नहीं कर सकते रुद्राभिषेक तो करें ये काम
विधि से रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभकारी है परंतु जो लोग विधि-विधान से शिव का अभिषेक नहीं कर सकते वे ऊं नम: शिवाय’ का जाप करते हुए भी शिव अभिषेक का पूरा लाभ ले सकते हैं। वैसे तो अभिषेक जल से किया जाता है। सावन के महीने, सोमवार, प्रदोष, मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर दूध द्वारा अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घी, शहद, शक्कर को मिलाकर पंचामृत बनाकर भी अभिषेक किया जाता है। 

सावन में होंगे 4 सोमवार
इस बार चाहे कोई संक्रान्ति से संक्रान्ति, पूर्णिमा से पूर्णिमा अथवा एकादशी से एकादशी तक व्रत करेगा उसे 4 सोमवार ही व्रत करने होंगे। पहला सोमवार 22 जुलाई को होगा तथा इसके अतिरिक्त 29 जुलाई, 5 अगस्त और 12 अगस्त सोमवार को व्रत किया जा सकता है। 

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सोमवार व्रत विधि
सोमवार को मंदिर जाएं शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूलों आदि से पूजा करके सारा दिन उपवास करें। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनका दूध से अभिषेक करें। शाम को भोजन करें। अगले दिन भगवान शिव के पूजन के पश्चात यथाशक्ति दान आदि देकर ही व्रत का पारण करे। अपने किए गए संकल्प के अनुसार व्रत करके उनका विधिवत उद्यापन किया जाना चाहिए। जो लोग सच्चे भाव एवं नियम से भगवान की पूजा, स्तुति करते हैं वह मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। इन दिनों में सफेद वस्तुओं के दान की अधिक महिमा है। 

क्या खांए
व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए।

एक समय भोजन करना चाहिए।

फलाहार, दूध और दूध से बने पदार्थ खाए जा सकते हैं।

साबूदाना, कट्टू का आटा और सिंघाड़े का आटा खा सकते हैं।

व्रत से जुड़ी कथा
एक बार सावन के महीने में अनेक ऋषि क्षिप्रा नदी में स्नान कर उज्जैन के महाकाल शिव की अर्चना करने हेतु एकत्र हुए। वहां एक अभिमानी वेश्या ऋषियों को धर्मभ्रष्ट करने आई। किंतु वहां पहुंचने पर ऋषियों के तप बल के प्रभाव से उसके शरीर की सुगंध लुप्त हो गई। वह आश्चर्यचकित होकर अपने शरीर को देखने लगी। उसे लगा, उसका सौंदर्य भी नष्ट हो गया। उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। उसका मन विषयों से हट गया और भक्ति मार्ग पर बढ़ने लगा। उसने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु ऋषियों से उपाय पूछा, वे बोले- ‘तुमने सोलह श्रृंगारों के बल पर अनेक लोगों का धर्मभ्रष्ट करने का प्रयास किया, इस पाप से बचने के लिए तुम सोलह सोमवार व्रत करो और काशी में निवास करके भगवान शिव का पूजन करो।’ 

वेश्या ने ऐसा ही किया और अपने पापों का प्रायश्चित कर शिवलोक पहुंची। ऐसा माना जाता है कि सोलह सोमवार के व्रत से कन्याओं को सुंदर पति मिलते हैं तथा पुरुषों को सुंदर पत्नि की प्राप्ति होती है। बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास, इसमें शिव की पूजा करने से प्रायः सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है।

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भगवान शिव की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव....।।

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