नेपाल में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का एकीकरण रद, कट्टेल को सौंपी इसकी कमान

Edited By Yaspal,Updated: 07 Mar, 2021 08:36 PM

sc decision in nepal cancellation of unification of communist party of nepal

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएएमल) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के 2018 में हुए विलय को रविवार को रद्द कर दिया। देश में सत्ता के लिए रस्साकशी के बीच दोनों नेताओं के लिए इसे एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इन...

इंटरनेशनल डेस्कः नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएएमल) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के 2018 में हुए विलय को रविवार को रद्द कर दिया। देश में सत्ता के लिए रस्साकशी के बीच दोनों नेताओं के लिए इसे एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इन पार्टियों का नेतृत्व क्रमश: प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल प्रचंड कर रहे थे, जिनका (दोनों पार्टियों का) मई 2018 में आपस में विलय कर एकीकृत ‘‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी'' का गठन किया गया था। यह घटनाक्रम, 2017 के आम चुनावों में दोनों पार्टियों के गठबंधन को मिली जीत के बाद हुआ था।

काठमांडू पोस्ट समाचार पत्र की खबर के मुताबिक रविवार को न्यायमूर्ति कुमार रेगमी और न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) पर वैध अधिकार ऋषिराम कत्तेल को सौंप दिया, जिन्होंने ओली और प्रचंड नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के गठन से पहले चुनाव आयोग में पार्टी का पंजीकरण अपने नाम पर कराया था। ऋषिराम ने एनसीपी का मई 2018 में ओली और प्रचंड के तहत पंजीकरण करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी।

पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग में ऐसी स्थिति में किसी नई पार्टी का पंजीकरण नहीं हो सकता, जब उसी नाम से कोई पार्टी पहले से पंजीकृत हो। समाचार पत्र ने ऋषिराम के वकील दंडपाणि पौडेल को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है। हम मुकदमा जीत गए। '' समाचार पत्र के मुताबिक, न्यायालय ने कहा कि सीपीएन-यूएएमल और सीपीएन (माओइस्ट-सेंटर) को विलय पूर्व स्थिति में लौटना होगा और यदि उन्हें आपस में विलय करना है तो उन्हें राजनीतिक दल अधिनियम के तहत आयोग में आवेदन देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ संसद में एनसीपी की 174 सीटें दोनों पार्टियों के विलय पूर्व उनके द्वारा 2017 के संसदीय चुनाव में जीती गई सीटों के आधार पर अब विभाजित हो जाएंगी। दोनों पार्टियों ने चुनाव बाद एकीकरण के लिए एक समझौते पर पहुंचने के साथ चुनावी गठबंधन किया था। उल्लेखनीय है कि 2017 के आम चुनावों में यूएमएल ने 121 और माओइस्ट सेंटर ने 53 सीटें जीती थीं। चीन के प्रति झुकाव रखने वाले ओली ने प्रचंड के साथ सत्ता के लिए रस्साकशी के बीच पिछले साल दिसंबर में संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था।

275 सदस्यीय सदन को भंग करने के ओली के कदम के बाद सत्तारूढ़ एनएसपी दो फाड़ हो गई। ओली और प्रचंड गुट, दोनों ने ही एनसीपी पर अपना नियंत्रण होने का दावा किया और यह विषय अब चुनाव आयोग के पास है। बहरहाल, उच्चतम न्यायालय की पीठ ने ओली और प्रचंड को अपनी एकीकृत पार्टी के लिए एक अलग नाम प्रस्तावित करते हुए चुनाव आयोग के पास फिर से अर्जी देने का अवसर प्रदान किया है, बशर्ते कि वे एकीकृत पार्टी को बचाना चाहते हों। इस बीच, प्रधानमंत्री ओली ने न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद अपनी पार्टी के सांसदों की एक बैठक बुलाई है।

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