मॉब लिंचिंग पर SC सख्त- राज्य सरकारों को लगाई फटकार

Edited By vasudha,Updated: 07 Sep, 2018 01:54 PM

sc rebuke state governments on mobs lynching

उच्चतम न्यायालय मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सख्त दिखाई दे रही है। कोर्ट ने इस घटनाओं को रोकने संबंधी अपने आदेश को लागू करने में देरी पर शुक्रवार को राज्यों को सख्त चेतावनी दी है...

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सख्त दिखाई दे रही है। कोर्ट ने इस घटनाओं को रोकने संबंधी अपने आदेश को लागू करने में देरी पर शुक्रवार को राज्यों को सख्त चेतावनी दी है। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई की 29 राज्यों तथा सात केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 11 ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और गोरक्षा के नाम पर हिंसा जैसे मामलों में कदम उठाने के शीर्ष अदालत के आदेश के अनुपालन के बारे में रिपोर्ट पेश की है।     

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राज्य सरकारों से मांगी रिपोर्ट
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने ऐसा नहीं करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रिपोर्ट पेश करने का अंतिम अवसर देते हुए चेतावनी दी कि यदि उन्होंने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश नहीं की तो उनके गृह सचिवों को न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होना पड़ेगा।  

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कांग्रेस नेता की याचिका पर हुई सुनवाई 
इस मामले की सुनवाई के दौरान, केंद्र ने पीठ को सूचित किया कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के मुद्दे पर न्यायालय के फैसले के बाद भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के बारे में कानून बनाने पर विचार के लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया गया है।     न्यायालय कांग्रेस के नेता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में राजस्थान में 20 जुलाई को डेयरी किसान रकबर खान की कथित तौर पर पीट-पीटकर हुई हत्या के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के कथित उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रदेश के पुलिस प्रमुख, मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने की मांग की गई थी।     

PunjabKesariइस घटनाओं पर सख्ती से निपटें 
शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई को कहा था कि भीड़तंत्र की भयावह हरकतों को कानून पर हावी नहीं होने दिया जा सकता। इसके साथ ही गोरक्षा के नाम पर हिंसा और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामलों में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। न्यायालय ने सरकार से कहा था कि इस तरह की घटनाओं से सख्ती से निपटने के लिये वह नया कानून बनाने पर विचार करे।  

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